लखनऊ। यूपी में डेंगू -वायरल बुखार (Dengue-Viral Fever) का कहर बढ़ता जा रहा है। केवल फिरोजाबाद (Firozabad) में अब तक 75 लोगों की जान जा चुकी है। मथुरा में 17, मैनपुरी में तीन, कासगंज में दो लोग डेंगू और वायरल (Dengue-Viral) से गवां चुके हैं जान। वहीं गोंडा में प्रतिदिन 3000 से ज्यादा मरीज संदिग्ध बुखार से पीड़ित अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। वहीं कानपुर में वायरल बुखार (Viral Fever) के कारण सात दिन में 10 लोगों की मौत हुई है।
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उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों को चार मासूम समेत 14 लोगों की मौतहुई है। इनमें फिरोजाबाद में 11, मैनपुरी दो और मथुरा में एक मरीज शामिल हैं। वहीं, फिरोजाबाद में मृतकों का आंकड़ा 75 पहुंच गया है। जबकि फिरोजाबाद (Firozabad) के डीएम चंद्रविजय सिंह (DM Chandravijay Singh) ने लापरवाही बरतने पर पीएचसी सैलई के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. गिरीश श्रीवास्तव, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सौरभ प्रकाश और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. रुचि यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मोहल्ला ओझा नगर गली नंबर चार निवासी छह माह की मनु पुत्री मनोज कुमार ने गुरुवार को दम तोड़ दिया। ओम नगर निवासी हर्ष (9) पुत्र पप्पू कुशवाहा की जयपुर ले जाते समय मौत हो गई। न्यू आंबेडकर नगर की मनीषा (25) पत्नी नीरज की भी आगरा के निजी अस्पताल में मौत हो गई, जबकि बेटी अंजलि जिंदगी से संघर्ष कर रही है।
आनंद नगर ककरऊ निवासी शुभम (12) पुत्र प्रवेश और हिमांयूपुर पथवारी माता मंदिर वाली गली के मानव (10) पुत्र कुलदीप की भी आगरा में इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं परशुराम कॉलोनी के चंद्रभान के डेढ़ माह के बालक ने दम तोड़ दिया। करबला गली नंबर छह के डेढ़ माह के ऋषभ पुत्र गुड्डू की भी मौत हो ई।
आजाद नगर के कन्हैयालाल (25) सूबेदार की घर पर मौत हुई। मक्खपुर के नगला मवासी में मुस्कान (12) पुत्री बाबी और नगला अमान की कामना (17) पुत्री धर्मेंद्र की भी मौत हो गई। सरस्वती नगर की नैन्सी (5) ने भी दम तोड़ दिया। मैनपुरी के बिछवां के गांव लेखपुर निवासी अतर सिंह की पत्नी सरला (70) और रठेरा के रामसिंह की पत्नी संजीवन (63)की मौत हो गई। वहीं, मथुरा में कोह निवासी राजा (12) पुत्र हरिश्चंद्र की मौत हो गई।
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कानपुर में सात दिन में 10 लोगों की मौत
कानपुर में डेंगू और वायरल फीवर से सात दिन में 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें से पांच रोगियों की बीते 24 घंटे में जान गई है। इनमें दो बच्चे शामिल हैं। कल्याणपुर के कुरसौली गांव में बुधवार को बुखार से दूसरी रोगी की भी मौत हो गई। इस गांव में पहले एक किशोरी की बुखार से जान जा चुकी है।
तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरकर 30 हजार आने और सांस तंत्र फेल होने जैसे लक्षणों को स्वास्थ्य अधिकारी विचित्र बुखार कह रहे हैं। दरअसल यह स्क्रब टाइफस बीमारी है। शहर में इसकी जांच नहीं होती तो इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। दिल्ली में कराई गई जांचों में रोगियों में पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अभी तक फिजिशियन पहाड़ी इलाकों की बीमारी मानकर अनदेखी कर रहे हैं
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है, उन पर पड़ती है ज्यादा मार
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन पर दूसरे वैरिएंट की मार ज्यादा पड़ती है। ऐसे लोगों के डेंगू होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों के उपचार में ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। उनके प्लेटलेट्स सहित अन्य पैरामीटर की निगरानी करते हुए दवाएं दी जाती हैं। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें इसके दूसरे वैरिएंट का हमला था।
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प्रदेश में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला तेज हो गया है। डेंगू और बुखार से फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा ही नहीं दूसरे हिस्से में भी मौत हो रही है। मादा एडीज एजिप्टी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में डेंगू के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं। डेंगू एक, डेंगू दो, डेंगू तीन और डेंगू चार। डेंगू एक में जहां बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरते हैं वहीं डेंगू दो में रक्तस्राव, बुखार और शॉक लग सकता है। डेंगू तीन में शॉक बगैर बुखार और डेंगू चार में शॉक और बगैर शॉक के बुखार हो सकता है।
इंफेक्सन जेनेटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित अनुवांशिक अध्ययन में जताई यह आशंका
इंफेक्सन जेनेटिक्स एंड इवॉल्यूशन नामक पत्रिका (Journal of Infection Genetics and Evolution) में प्रकाशित अनुवांशिक अध्ययन (Genetic Studies) में भी यह आशंका जताई गई है कि इसके वैरिएंट में हो रहे बदलाव की वजह से यह गंभीर बीमारी हो गई है। इस साल भी डेंगू के नए वैरिएंट की आशंका जताई जा रही है।
जिन्हें ज्यादा पसीना, उसे ज्यादा खतरा
विभिन्न शोध रिपोर्ट (Research eport) में यह बात सामने आई है कि मच्छरों को कार्बन डाई ऑक्साइड, लैक्टिक एसिड की अधिकता वाले लोग अधिक पसंद हैं। जो लोग ज्यादा कसरत करते हैं अथवा ज्यादा मेहनत करते हैं उनके पसीने में कार्बन डाइआक्साइड (Carbon Di Oxide) और लैक्टिव एसिड (Lactic Acid) की अधिकता होती है। ऐसे लोगों के पसीने की महक से ये मच्छर उनके नजदीक ज्यादा आते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
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केजीएमयू संक्रामक रोग यूनिट प्रभारी डाॅ. डी हिमांशु (KGMU Infectious Diseases Unit in-charge Dr. D Himanshu) ने बताया कि जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है, उन्हें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। एक बार डेंगू होने पर दो से तीन साल तक उनमें एंटीबॉडी (Antibodies) रहती है, लेकिन इस बीच डेंगू के दूसरे वैरिएंट ने हमला किया तो मरीज की जान का जोखिम बढ़ जाता है। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिन्हें गंभीरावस्था में भर्ती कराया गया। ऐसे मरीजों के हर पैरामीटर को ध्यान में रखकर इलाज करना पड़ता है।