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OMG: हिंदू परंपरा में महिलाएं क्यों नहीं काटती कद्दू, जानकर हैरान रह जाएंगे इसके पीछे की वजह

By प्रिन्सी साहू 
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अक्सर आपने देखा होगा घर की महिलाएं सारी सब्जियां तो काट लेती है पर जहां कद्दू की बात आती है तो वो खुद कभी नहीं काटती। इसलिए वह या तो घर के किसी पुरुष सदस्य से कटवाती है या फिर सब्जी वाले से ही कटवा कर लाती है।

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महिलाएं कद्दू को क्यों नहीं काटती इसके पीछे की वजह क्या आप जानते है। कद्दू को मात्र एक साधारण सब्जी नहीं माना गया है मान्यताओं और परम्मपराएं इससे जुड़ी हुई है। इसे सीता फल भी कहा जाता है।

पूजा पाठ या फिर भंडारा या भगवान का भोग लगाना हो तो कद्दू की सब्जी ही बनायी जाती है। इसलिए कई घरों में आज भी महिलाएं कद्दू नहीं काटती है। पहले घर का कोई पुरुष कद्दू काटता है।

उसके बाद ही महिला इसे काट कर पीस करती है। लोक मान्यताओं के अनुसार कद्दू को बड़ा या ज्येष्ठ पुत्र माना जाता है। छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में विशेषकर आदिवासी समुदाय की महिलाएं तो आज भी कद्दू को नहीं काटती है। क्यों इसके पीछे मान्यता है कि कद्दू को काटना बड़े बेटे की बलि देने के सामान होता है।

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इसलिए कद्दू का व्यंजन बनाने से पहले पुरुष इसे काटते है, फिर महिलाएं इसके छोटे छोटे टुकड़े काट सकती है। क्योंकि महिलाएं कद्दू को साबुत नहीं काट सकती ।

हिंदू धर्म में जिस तरह महिलाओं का नारियल फोड़ना वर्जित होता है। उसी तरह से कद्दू काटना भी मना होता है।महिलाएं पूजा में नारियल को चढ़ा सकती हैं पर इसे फोड़ नहीं सकती है।ठीक इसी तरह महिलाओं को साबूत कद्दू को काटना या फोड़ना मना है।

कद्दू को पहले किसी पुरुष से काटवाने के बाद ही काट सकती है। हिंदू मान्यताओं में कद्दू और नारियल जैसी चीजों को सात्विक पूजा में बलि का प्रतिरुप माना जाता है। ऐसा पौराणिक महत्व है कि जहां पशुबलि नहीं दी जाती, वहां कद्दू को पशु का प्रतीक मानकर बलि देने की परंपरा है।

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