नई दिल्ली। भारत की 1983 क्रिकेट विश्वकप की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले यशपाल शर्मा का कल निधन हो गया। दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। कल सुबह उनकी मृत्यु 7 बज के 30 मिनट पर हुई। उनके मरने से पूरे क्रिकेट जगत में शोक की लहर है। उनके मरने से स्तब्ध उनके साथी खिलाड़ियों ने कुछ कहा है आइयें हम बताते हैं कि किसने क्या कहा—
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कपिल देव — भारतीय क्रिकेट जगत मंगलवार को 1983 विश्व कप के हीरो यशपाल शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए स्तब्ध था। विश्व कप में एतिहासिक जीत दर्ज करने वाली टीम के उनके पूर्व साथियों के लिए इस पूर्व बल्लेबाज को श्रद्धांजलि देते हुए खुद को संभालना मुश्किल हो गया। विश्व कप 1983 की चैंपियन भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव से जब संपर्क किया तो वह काफी दुखी और कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे और सिर्फ इतना ही बोल पाए, ‘मैं कुछ नहीं बोल पाऊंगा।
दिलीप वेंगसरकर — दिलीप वेंगसरकर ने कहा, “यह अविश्वसनीय है। वह हम सभी में सबसे अधिक फिट थे। हम जब उस दिन (कुछ दिन पहले एक किताब के विमोचन के मौके पर) मिले थे तो मैंने उनसे उनकी दिनचर्या के बारे में पूछा था। वह शाकाहारी थे। रात को खाने में सूप लेते थे और सुबह की सैर पर जरूर जाते थे। मैं सकते में हूं।”
बलविंदर सिंह — संधू बलविंदर सिंह संधू ने कहा, “स्तब्ध हूं, यह मेरे लिए सबसे बुरी खबर है। 1983 की टीम परिवार की तरह थी और ऐसा लगता है कि हमारे परिवार का एक सदस्य नहीं रहा, यह काफी स्तब्ध करने वाला है।”
क्रिस श्रीकांत — क्रिस श्रीकांत ने कहा, “वह उन मुख्य हीरो में शामिल थे जिन्होंने हमारे 1983 विश्व कप जीतने में मदद की। उनके साथ खेलने की मेरी शानदार यादें हैं। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।”
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कीर्ति आजाद — कीर्ति आजाद ने कहा, “उस दिन जब हम मिले तो उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा वजन कम हो गया। हमारे लिए यादगार दिन था। मुझे विश्व कप 1983 का पहला मैच याद है। हमारा सामना वेस्टइंडीज की मजबूत टीम से था जिसके पास तूफानी गेंदबाजों की फौज थी। यशपाल ने अपनी योजना बनाई और हम मैच जीत गए।”
सैयद किरमानी — विकेटकीपर बल्लेबाज सैयद किरमानी ने कहा, “वह 1983 विश्व कप में मेरे साथी विकेटकीपर थे। हम विश्व कप में किसी बैकअप विकेटकीपर के साथ नहीं गए थे। मैं प्रमुख विकेटकीपर था और वह मेरे सहयोगी। वह इस बड़े टूर्नामेंट के दौरान दूसरे विकेटकीपर की भूमिका निभाने वाले थे। यशपाल की सबसे बड़ी खूबी थी उनके अंदर का मोटिवेशन। पूरी टीम को हमेशा ही मोटिवेट किया करते थे। वह बेहद ही जिंदादिल इंसान थे जो हमेशा ही दूसरों को खुश रखना जानते थे। यशपाल के परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।”
मदन लाल — मदन लाल का कहना है, “यशपाल हमें छोड़कर चले गए हैं इस पर यकीन नहीं होता। यशपाल टीम मैन होने के साथ-साथ अच्छे इंसान भी थे।”
रवि शास्त्री — रवि शास्त्री ने कहा, “जीवन में इतनी जल्दी विश्व कप जीत के एक साथी को खोने पर वास्तव में दुखी और स्तब्ध हूं। परिवार के प्रति संवेदना और ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।”