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हमारी विचारधारा देशभक्ति की है, हमारे लिए रानजीति नहीं राष्ट्रनीति सर्वोपरि है : पीएम मोदी

By शिव मौर्या 
Updated Date

हमारी विचारधारा देशभक्ति की है, हमारे लिए रानजीति नहीं राष्ट्रनीति सर्वोपरि है : पीएम मोदी

नई दिल्ली। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इससे पहले पीएम ने कहा कि, आज हम सभी दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं। पहले भी अनेकों अवसर पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने का, विचार रखने का और अपने वरिष्ठ जनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत राष्ट्र प्रथम की भावना से आगे बढ़ रहा है। देश में कई सकारात्म बदलाव हो रहा है और पूरी दुनिया में भारत का कद बढ़ रहा है। ऐसे में सभी भारतवासी गर्व महसूस कर रहे हैं।

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पीएम मोदी ने कहा कि हमारी विचारधारा देशभक्ति की है। हमारे लिए रानजीति नहीं राष्ट्रनीति सर्वोपरि है। पीएम ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह हमारी सरकार ने दिया। दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवाकर हमने उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं बल्कि कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत से चलती है लेकिन देश सर्वसम्मति से चलता है।

पीएम ने कहा कि पहले हमे हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। दीनदयाल जी ने उस समय कहा था कि हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है, जो न केवल कृषि में आत्मनिर्भर हो, बल्कि रक्षा और हथियार में भी हो। आज भारत में डिफेंस कॉरिडोर बन रहे हैं, मेड इन इंडिया हथियार बन रहे हैं और तेज जैसे फाइटर जेस्ट का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी।

आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है। इसके साथ ही पीएम ने विभिन्न राज्यों के बंटवारे के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि भाजपा की सरकारों ने 3 नए राज्य बनाए तो हर कोई हमारे तौर तरीकों में दीनदयाल जी के संस्कारों का प्रभाव स्पष्ट देख सकता है। उन्होंने कहा, राज्यों का विभाजन जैसा काम राजनीति में कितने रिस्क का काम समझा जाता था। इसके उदाहरण भी हैं अगर कोई नया राज्य बना तो देश में कैसे हालत बन जाते थे।

 

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