नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी के बाद से हिंसा और आगजनी चरम पर पहुंच गई है। इससे पाकिस्तान (Pakistan) के कई इलाकों में हालात बेकाबू हो चुके हैं। इमरान खान (Imran Khan) की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हालात कंट्रोल से बाहर दिख रहे हैं। पंजाब से लेकर खैबर पख्तूनख्वा तक में उनके समर्थकों ने जमकर बवाल काटा है। हालात को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट बंद है और सभी सोशल मीडिया ऐप्स को डाउन किया गया है।
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यही नहीं हालात इसके बाद भी नहीं सुधरे तो फिर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में आपातकाल भी लग सकता है, जो हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। पाकिस्तानी मीडिया में इस बात की चर्चा है। ‘द न्यूज’ रिपोर्ट के मुताबिक यदि राज्य सरकारें हालात संभाल नहीं पाईं तो फिर आपातकाल घोषित हो सकता है।
पाकिस्तान (Pakistan) में हिंसक प्रदर्शनों के बीच एक विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री खान को बुधवार को आठ दिन के लिए भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की रिमांड में भेज दिया, जबकि एक सत्र अदालत ने भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में उन्हें आरोपित किया। राष्ट्र को दिए एक संबोधन में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) ने कहा कि खान के समर्थकों द्वारा की गयी हिंसा में ‘संवेदनशील सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा’, जिसके कारण उन्हें राजधानी इस्लामाबाद, घनी आबादी वाले पंजाब प्रांत और उत्तरपश्चिम के संवेदनशील इलाकों में सेना को तैनात करना पड़ रहा है।
पुलिस चौकियां और सेना प्रतिष्ठान आग के हवाले
मंगलवार को खान को गिरफ्तार करने के बाद इस्लामाबाद तथा अन्य प्रमुख शहरों में उनके समर्थकों ने सड़कें अवरुद्ध कर दी, उनकी पुलिस के साथ झड़पें हुई और उन्होंने पुलिस जांच चौकियों तथा सैन्य प्रतिष्ठानों में आग लगा दी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गयी तथा सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रधानमंत्री शरीफ ने मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद कहा कि पाकिस्तान की आवाम ने ऐसे दृश्य पहले कभी नहीं देखे। यहां तक कि मरीजों को एम्बुलेंस से निकाल दिया गया और एम्बुलेंस में भी आग लगा दी गयी। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने की चेतावनी दी। पाकिस्तानी सेना ने अपने प्रतिष्ठानों पर हमले को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों को कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी और कहा कि किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। साथ ही, उसने नौ मई को उसके प्रतिष्ठानों पर हमलों को देश के इतिहास का ‘काला अध्याय’ करार दिया।