मुंबई। बॉलीवुड की प्लेबैक सिंगर पलक मुच्छल महज चार साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था। प्लेबैक सिंगर की सामाजिक कामों में भी खूब दिलचस्पी है। पलक अब तक 3000 बच्चों हार्ट सर्जरी करवाकर जिंदगी बचा चुकी हैं।
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पलक मुच्छल का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में चुका है दर्ज
बुधवार को आलोक की सर्जरी सक्सेसफुल रही। इसके साथ ही आलोक के साथ ही गरीब बच्चों की हार्ट सर्जरी करवाने की ये संख्या अब 3000 पर पहुंच गई है। बता दें कि पलक को सामाजिक कार्य के लिए उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। इसके अलावा उन्हें भारत सरकार और अन्य कई संस्थानों ने भी उन्हें अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं।
पलक मुच्छल का जन्म 30 मार्च 1992 में मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। उनके पिता का नाम राजकुमार मुच्छल है, जोकि एक संस्था में अकाउंटेंट हैं। उनकी मां का नाम अमिता मुच्छल है। उनका एक छोटा भाई पलाश मुच्छल है। उन्होंने भारतीय हिन्दी फ़िल्म संगीत निर्देशक, गीतकार-संगीतकार और गायक मिथुन शर्मा से शादी की है , जिन्हें मिथुन के नाम से भी जाना जाता है । पलक को संगीत का शौक बचपन से ही था।
पलक मुच्छल 17 भाषाओं में पूर्ण रूप से पारंगत हैं, यूएसए द्वारा ग्लोबल पीस के लिए डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान की गई
पलक मुच्छल ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की है। इसके साथ ही वह 17 भाषाओं में पूर्ण रूप से पारंगत हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा क्वींस कॉलेज इंदौर से की। मुच्छल ने बताया कि वह इंदौर के एक कॉलेज से बी.कॉम तक शिक्षा ग्रहण की है। पलक मुच्छल को (2000) में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, जिसे पहले असाधारण उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार कहा जाता था। बच्चों के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। पलक मुच्छल को (2021) अमेरिकन यूनिवर्सिटी यूएसए द्वारा ग्लोबल पीस के लिए डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान की गई।
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And 3000 LIVES SAVED!
Thank you for your prayers for Alok! The surgery went successfully and he is absolutely fine now!#SavingLittleHearts pic.twitter.com/AH6BROpMqV — Palak Muchhal (@palakmuchhal3) June 11, 2024
पलक मुच्छल ने मीडिया से कहा कि वो कई बच्चों का इलाज करवा रही हैं जिन्हें हार्ट सर्जरी की जरूरत है। इसी के साथ वह 3,000 सर्जरी पूरी करने के साथ लगभग 400 और बच्चों का इलाज करना चाहती हैं। उन्होंने इस बातचीत में कहा कि ये एक सपने जैसा लगता है कि एक छोटी सी पहल जो एक छोटी सी बच्ची ने शुरू किया था कि वो आज इतना बड़ा मकसद बन गया है। मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है ये। वे 3,000 बच्चे मेरे लिए मेरे परिवार की तरह हैं।
अभी भी 400 से अधिक बच्चे हैं जिनका कराना है इलाज
पलक मुच्छल ने कहा कि अभी भी 400 से अधिक बच्चे हैं जिनका मैं इलाज कराना चाहती हूं। आज भी मेरा हर कॉन्सर्ट कार्यक्रम उन हार्ट सर्जरी को समर्पित होता है। वे बच्चे इंतजार करते हैं कि पलक दीदी का कॉन्सर्ट कब होगा और हमारी सर्जरी कब होगी और मैं प्रार्थना करती हूं कि भगवान मुझे इतनी शक्ति दें कि मैं अपनी इस इच्छा को आगे बढ़ा सकूं।
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बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2011 में फिल्म दमादम से की
पलक मुच्छल ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत साल 2011 में फिल्म दमादम से की। उसके बाद उन्होंने ‘ना जाने कबसे’, ‘एक था टाइगर’, ‘फ्रॉम सिडनी विथ लव’,’आशिकी 2′ और बंगाली फिल्म रॉकी के लिए गाने गाये। परन्तु पलक को हिंदी सिनेमा में कामयाबी फिल्म ‘एक था टाइगर’ और ‘आशिकी 2’ से मिली। वह कौन तुझे,नइयो लगदा,हुआ है आज पहली बार और धोखा धड़ी जैसे गाने गा चुकी हैं।
पलक महज पांच साल की थीं तब से समाजिक क्रियाकलाप में सक्रिय हैं। साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने शहीदों के परिवारों के लिए दुकानों और गली के नुक्कड़ों पर गाना गाकर चंदा इकट्ठा किया। पलक अपनी गायकी का सार्वजानिक प्रदर्शन कर चंदा इकट्ठा कर गरीब बच्चों की सहायता करती थीं।
उसके बाद वह अपने भाई पलाश के साथ विदेशों में स्टेज शो करने लगीं, उन स्टेज शो से वह जो भी पैसा कमाती हैं, उसे गरीब बच्चों को दान करती हैं। उन्होंने अपनी प्रदर्शनी का नाम “दिल से दिल तक” रखा है। पलक अपनी प्रदर्शनी मे औसतन 40 गाने गाती हैं जिनमे हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गाने, भजन तथा गज़लें शामिल होती हैं।
सन 2001 में पलक ने गुजरात के भूकंप पीडितों की सहायता के लिए 10 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा किया। पलक की बच्चों के प्रति सहानुभूति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। जुलाई 2003 में पलक ने पाकिस्तान की एक बच्ची, जो हृदय रोग से पीडि़त थी और भारत मे इलाज के लिए आई थी, उसके लिए वित्तीय सहायता की पेशकश की। इस सामाजिक संगठन के पैसों से पलक या उनके परिवारवालों को कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं होता। लाभार्थी बच्चों से पलक प्रतीक के रुप में एक गुडि़या स्वीकार करती हैं।