नई दिल्ली। पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले (Patanjali Misleading Ads Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अवमानना याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पतंजलि को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय भी दिया है। इस हलफनामे में पतंजलि को यह बताना है कि उसने भ्रामक विज्ञापनों और उन दवाओं को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए हैं? जिनके लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।
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जस्टिस हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Justice Ahsanuddin Amanullah) की पीठ ने बीती 7 मई को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर लोगों को प्रभावित करने वाले किसी प्रोडक्ट या सर्विस का विज्ञापन भ्रामक पाया जाता है तो इसके लिए सेलिब्रिटीज और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को भी समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाए। आईएमए (IMA) ने अपनी याचिका में कहा है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया।