Pitru Paksha 2025 : पितृ पक्ष पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और विश्वास का कालखंड है। इस दौरान पितरों के निमित्त तर्पण ,पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों की कृपा और आर्शिवाद प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक माना जाता है। पितृपक्ष की अवधि में सात्विक रहकर पितरों के प्रति समर्पण भाव से क्रियायें करने का नियम है। मान्यता है कि इस दौरान साफ सफाई और शुद्ध मन से पितरों को तर्पण ,पिंडदान करना सर्वोत्तम माना जाता है।
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इसी प्रकार पूर्वजों के श्राद्ध के दौरान पूरे विधि विधान से क्रियायें करने और समर्पित भाव से पिंडदान के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन और दान देने से पितृ तृप्त होते और सुख समृद्धि का आर्शिवाद देते है। इसी प्रकार इस दौरान नए वस्त्रों के लेकर भी लोगों के मन में दुविधा रहती है।
पितृपक्ष के दौरान नए वस्त्र को पहनने को लेकर शास्त्रों में वर्णित है कि इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और प्रेत आत्माओं की स्मृति से जुड़ी ऊर्जा विचरण करती है। लोक मान्यता के अनुसार इस दौरान खरीदे वस्त्र आभूषण भूमि या गृह निर्माण कार्य का फल अस्थायी होता है साथ में बाधा आती है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान भोग विलास, उत्सव और नये कार्य वर्जित माने जाते है।