नई दिल्ली। देश में सैन्य बलों की भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) की वैधता को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के फैसले को बरकरार रखा है। वहीं अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के लागू होने से पहले भारतीय वायुसेना में भर्ती से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस याचिका पर 17 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
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अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता दिल्ली हाईकोर्ट ने रखी थी बरकरार
बीते फरवरी महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा कि ‘जिन नीतिगत फैसलों का देश के स्वास्थ्य और रक्षा क्षेत्र पर बड़ा असर पड़ता है, वो फैसले उन्हीं निकायों को लेने चाहिए, जो इनके विशेषज्ञ हैं।’ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में पूर्व में दिए फैसलों की श्रृंखला का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘जब तक सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत फैसले मनमाने, भेदभावपूर्ण या संविधान के किसी प्रावधान और कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं तो यह अदालत इस तरह के नीतिगत फैसलों पर सवाल नहीं उठा सकती।’
जानें क्या है अग्निपथ योजना?
अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) की शुरुआत जून 2022 में हुई। इस योजना के तहत हर साल साढ़े सत्रह साल से 21 साल के बीच के करीब 45-50 हजार युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा। इनमें से अधिकतर चार साल की सेवा के बाद सर्विस से बाहर हो जाएंगे और सिर्फ 25 प्रतिशत को ही अगले 15 साल के लिए सेवा जारी रखने के लिए चुना जाएगा। सरकार की अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) का देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ था। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अग्निपथ योजना को देशहित में माना और कहा कि इससे हमारे सुरक्षा बल ज्यादा बेहतर बनेंगे।