Pradosh Vrat 2021: अश्विन मास का दूसरा प्रदोष व्रत 17 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा। इस बार रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है।
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भगवान शिव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसी वजह से लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं। जिन लोगों को विवाह, संतान या किसी भी तरह के सांसारिक सुखों को पाने में दिक्कत आती हैं, उन्हें प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए। सच्ची श्रद्धा से प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
प्रदोष व्रत – 17 अक्टूबर, 2021, रविवार
प्रदोष व्रत तिथि आरंभ – 5:42 मिनट से शुरू होकर
प्रदोष व्रत तिथि समापन- 18 अक्टूबर, 2021, सोमवार , 6:07 मिनट पर होगा
पूजा करने का सही समय- 17 अक्टूबर, 2021, 5:49 शाम से लेकर 8:20 बजे तक
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प्रदोष व्रत में इन मंत्रों का करें जाप
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ॐ नमः शिवाय।
ॐ आशुतोषाय नमः।।