Quant King James Simons Died : अरबपति निवेशक जेम्स सिमंस का 86 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। शेयर बाजार के सबसे महान निवेशकों में शामिल और गणित के सहारे बड़ी- बड़ी समस्या सुलझाने वाले जिम सिमोंस एक सफल निवेशक थे। जेम्स का एक सफल गणितज्ञ के रूप में सम्मान था जिसने विज्ञान के लिए काफी काम किया था। उनके ऑर्गेनाइजेशन Simons Foundation ने जानकारी देते हुए कहा कि उनका निधन शुक्रवार को हुआ कंपनी के कारणों के बारे मे कोई जानकारी नहीं दी।
पढ़ें :- Billionaire Warren Buffett : अरबपति वॉरेन बफेट ने रिकॉर्ड ₹44,200 करोड़ किए दान
सिमंस और उनकी पत्नी ने मिलकर 1994 में Simons Foundation की स्थापना की थी ये दुनिया के ऐसे सबसे बड़े चैरिटेबल इंस्टीट्यूशंस में शामिल है जो गणित और बेसिक साइंस को बढ़ावा देने में मदद करता है। Simons Foundation को स्थापित करने से पहले जिम ने Renaissance Technologies की स्थापना 1980 में की थी। Renaissance का नाम दुनिया के अब तक के सबसे सफल हेज फंड्स में शामिल है। 1988 से 2023 तक उनके फंड को सालाना औसतन करीब 40 फीसदी रिटर्न मिला। इससे मिली मोटी फीस ने साइमंस को अरबपति बना दिया था।
परोपकारी हो गए थे
वह साल 2010 में Renaissance Technologies के सीईओ के पद से रिटायर हुए। उन्होंने साल 2021 तक कंपनी के चेयरमैन का पद भी संभाला। फोर्ब्स के मुताबिक रिटायरमेंट के समय उनकी नेटवर्थ 31 अरब डॉलर थी। उन्हें वॉल स्ट्रीट (wall Street) के सबसे सफल निवेशकों में से एक माना जाता था। उन्होंने दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) और जॉर्ज सोरोस (George Soros) को भी पीछे छोड़ दिया था। हालांकि जीवन के अंतिम पड़ाव में वह पॉलिटिकल डॉलर और परोपकारी हो गए थे।
वियतनाम वॉर का विरोध किया था
मैसाचुसेट्स प्रांत (State of Massachusetts) के न्यूटन में 1938 में जन्मे साइमंस ने एमआईटी (MIT) से मैथ की डिग्री लेने के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California), बर्कले (Berkeley) से गणित में डॉक्ट्रैट किया था। 2015 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें केवल गणित ही सब्जेक्ट के रूप में पसंद था। एमआईटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में कुछ समय तक पढ़ाने के बाद वह न्यू जर्सी स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस एनालिसिस(New Jersey-based Institute for Defense Analyses) से जुड़ गए थे। इसमें वह नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के लिए कोड ब्रेकर का काम करते थे। 1968 में उन्हें इस इंस्टीट्यूट से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने वियतनाम वॉर का विरोध किया था।