नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की द्वैमासिक मीटिंग बुधवार से शुरू हो गई है। इस मीटिंग की अध्यक्षता आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) कर रहे हैं।
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बता दें कि आरबीआई की एमपीसी (MPC) समिति जो भी फैसला लेगी उसकी घोषणा गर्वनर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das) शुक्रवार 8 दिसंबर को करेंगे। चलिए जानते हैं इस बैठक से आप और हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
ब्याज दर रह सकता है स्थिर
शुक्रवार को होने वाली घोषणा में गवर्नर शक्तिकांत दास (Governor Shaktikanta Das)रेपो रेट को अपरिवर्तित रख सकते हैं। विशेषज्ञ की माने तो रेपो रेट इसलिए स्थिर रह सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति धीरे-धीरे आरबीआई (RBI) के लक्ष्य स्तर के करीब आ रही है और आर्थिक विकास (Economic Development) बढ़ रहा है।
पिछले चार बार से स्थिर है ब्याज दर
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आपको बता दें कि इससे पहले आरबीआई (RBI) एमपीसी (MPC) की हुई चार बैठकों में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया गया था। आखिरी बार रेपो रेट को फरवरी 2023 में बढ़ा कर 6.5 प्रतिशत किया गया था। आपको बता दें कि मई 2022 से फरवरी 2023 तक केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट यानी 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की है।
चार महीने के निचले स्तर पर है महंगाई
खाद्य पदार्थों की कीमतें में कमी के कारण अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर चार महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई थी। एमपीसी (MPC) ने अपनी अक्टूबर की बैठक में 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति (CPI Inflation) 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था जो 2022-23 में 6.7 प्रतिशत से कम है।
आरबीआई एमपीसी का क्या है काम?
हर दो महीने में होने वाली इस एमपीसी (MPC) की बैठक में देश में महंगाई को कम करने से जुड़े नीतिगत फैसले लिए जाते हैं। इनमें रेपो रेट सबसे अहम फैसला होता है। रेपो रेट वह ब्याज दर होता है जिस दर पर आरबीआई (RBI) देश के बैंकों को कर्ज देती है।
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जानें रेपो रेट कितना महत्वपूर्ण आरबीआई के लिए?
रेपो रेट आरबीआई (RBI) के पास ब्रह्मास्त्र की तरह है। दरअसल देश में जब भी महंगाई बढ़ती है तो तब आरबीआई रेपो रेट के बढ़ा देता है। आरबीआई ऐसा इसलिए करता है ताकी इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो जाए। मनी फ्लो होने से डिमांड कम होगी जिससे महंगाई घट जाएगी। इसके ठीक विपरीत जब इकोनॉमी में डिमांड बढ़ानी होती है तो आरबीआई रेपो रेट (RBI Repo Rate) को कम कर मनी फ्लो को इकोनॉमी में बढ़ा देती है।