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धर्म की शिक्षा हिंदू बच्चों का मौलिक अधिकार, जरूरत पड़े तो सरकार संविधान में करे संशोधन: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

By संतोष सिंह 
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प्रयागराज। महाकुंभ सेक्टर-12 (Mahakumbh Sector-12) स्थित शिविर में बीते बुधवार को परमधर्म संसद (Paramdharma Sansad) में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Jyotishpeeth Shankaracharya Swami Avimukteshwarananda Saraswati) ने कहा कि धार्मिक शिक्षा प्राप्त करना हर हिंदू बच्चे का मौलिक अधिकार है। आवश्यकता होने पर संविधान में संशोधन किया जाए और हर हिंदू बच्चे को उसके धर्म की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था और वातावरण उपलब्ध कराया जाए। धर्म विहीन जीवन पशु के समान होता है।

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स्वतंत्रता मिलने के बाद स्वीकृत संविधान की धारा 30 ने देश के अल्पसंख्यकों को धार्मिक आधार पर शिक्षण संस्थान बनाने और संचालित करने का अधिकार दिया। पर बहुसंख्यकों को इस सुविधा से वंचित कर दिया। विषय स्थापना नचिकेता जितेंद्र खुराना ने किया। विशिष्ट अतिथि डाॅ. रति और संचालन देवेंद्र पांडेय ने किया। इस दौरान जी. रैना, अनुसुइया प्रसाद उनियाल, स्वामी दयाशंकर दास और दंगल सिंह गुर्जर मौजूद रहे।

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