नई दिल्ली। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से दिए गए जवाब में खुलासा हुआ है कि बैंकों को ऐसे विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) की वजह से 62,000 करोड़ रुपये बट्टे खाते (Write Off ) में डालना पड़ा है। ये आंकड़े भी मार्च 2020 तक के ही हैं। आशंका है कि यह राशि कई करोड़ और बढ़ गई होगी।
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सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के अनुसार देश के बैंकों ने तकनीकी तौर पर 50 बड़े विलफुल डिफाल्टर्स (Wilful Defaulters) के 68,607 करोड़ रुपए के कर्ज की बड़ी राशि को को बट्टा खाते में डाल दिया है। इन विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) की सूची में भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) भी शामिल है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत दी गई जानकारी से सामने आई है।
राहुल गांधी ने 16 फरवरी को संसद में उठाया था सवाल
आरटीआई वर्कर साकेत गोखले ने सूचना का अधिकार कानून के तहत देश के केंद्रीय बैंक से 50 विलफुल डिफाल्टर्स का ब्योरा और उनके द्वारा लिए गए कर्ज की 16 फरवरी तक की स्थिति का के बारे में जानकारी मांगी थी। गोखले ने बताया कि मैंने यह आरटीआई इसलिए डाली क्योंकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) और वित राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Minister of State for Finance Anurag Thakur) ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Congress MP Rahul Gandhi) द्वारा संसद के बजट सत्र के दौरान बीते 16 फरवरी को पूछे गए तारांकित सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था।
गोखले ने बताया कि जो जानकारी सरकार ने नहीं दी वह आरबीआई (RBI) के केंद्रीय जन सूचना आधिकारी अभय कुमार (Central Public Information Officer Abhay Kumar) ने शनिवार यानी 24 अप्रैल को दी, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आरबीआई ने बताया कि इस राशि (68607 करोड़ रुपये) में बकाया और टेक्निकली या प्रूडेंशियली 30 सितंबर, 2019 तक बट्टा खाते में डाली गई रकम है। इससे पहले की रिपोर्ट में एक चूक हो गई थी, जिसे अब सुधार ली गई है। गोखले ने बताया कि आरबीआई (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के दिसंबर 2015 के फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के संबंध में जानकारी देने से मना कर दिया था।
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30 सितंबर 2019 को हुआ कर्ज माफ
आरबीआई (RBI) ने आरटीआई (RTI) के जवाब में कहा कि 68,607 करोड़ रुपए बकाया धनराशि शामिल हैं। तकनीकी रूप से और विवेकपूर्ण तरीके से इस पूरी राशि को 30 सितंबर, 2019 तक माफ कर दिया गया है। गोखले के अनुसार शीर्ष बैंक ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के 16 दिसंबर, 2015 के एक फैसले का जिक्र करते हुए विदेशी उधारीकर्ताओं पर प्रासंगिक जानकारी मुहैया कराने से इंकार कर दिया।
Wilful Defaulters List : 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स सूची में जानें कौन-कौन नाम है शामिल?
50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स (Wilful Defaulters) की इस सूची में चोकसी की भ्रष्टाचार में फंसी कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड शीर्ष पर है, जिसके ऊपर 5,492 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसके अतिरिक्त समूह की अन्य कंपनियां, गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड हैं, जिन्होंने क्रमश: 1,447 करोड़ रुपये और 1,109 करोड़ रुपये ऋण लिए थे। चोकसी इस समय एंटीगुआ एंड बारबाडोस आईसलैंड का नागरिक है, जबकि उसका भतीजा और एक अन्य भगोड़ा हीरा कारोबाारी नीरव मोदी (Nirav Modi) लंदन में है।
दूसरे स्थान पर आरईआई जिसने 4,314 करोड़ रुपये के कर्ज लिए थे। इसके निदेशक संदीप झुनझुनवाला और संजय झुनझुनवाला एक साल से अधिक समय से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में हैं। भगोड़ा हीरा कारोबारी जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी का है, जिसने 4076 करोड़ रुपये कर्ज ले रखे हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) विभिन्न बैंक धोखाधड़ी के लिए इसकी जांच कर रही है।
दो हजार करोड़ रुपए की श्रेणी में कानपुर स्थित रोटोमैक ग्लोबल प्रा.लि. है, जो प्रसिद्ध कोठारी समूह का हिस्सा है, और इसने 2,850 करोड़ रुपए कर्ज ले रखे हैं। वहीं कुदोस केमी, पंजाब 2,326 करोड़ रुपए, बाबा रामदेव और बालकृष्ण के समूह की कंपनी रुचि सोय इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंदौर 2,212 करोड़ रुपए और जूम डेवलपर्स प्रा.लि., ग्वालियर 2,012 करोड़ रुपए शामिल हैं।
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इस सूची में 18 कंपनियां एक हजार करोड़ रुपए कर्ज वाली श्रेणी में हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम हरीश आर. मेहता की अहमदाबाद स्थित फॉरएवर प्रीसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स प्रा.लि. 1962 करोड़ रुपये, और भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या (Fugitive Liquor Baron Vijay Mallya) की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड 1,943 करोड़ रुपए शामिल हैं।
इसके अलावा 25 कंपनियां ऐसी हें, जनके ऊपर एक हजार करोड़ से कर्ज बकाया हैं। ये 605 करोड़ रुपए से लेकर 984 करोड़ रुपए तक के हैं। ये कर्ज या तो व्यक्तिगत तौर पर लिए गए हैं, या समूह की कंपनियों के रूप में। 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स (Wilful Defaulters) में से छह हीरा या सोने के ज्वेलरी उद्योग से संबंधित हैं।
मीडिया रिपोर्ट में गोखले ने कहा कि इनमें से अधिकांश ने पिछले कुछ वर्षो के दौरान प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंकों को चूना लगाया है। उनमें से कई या तो फरार हैं य विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। कुछ मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इस मामले में कोई भी उद्योग बचा नहीं है, क्योंकि ये 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स (Wilful Defaulters) आईटी, अवचंरचना, बिजली, स्वर्ण-डायमंड ज्वेलरी, फार्मा आदि सहित अर्थव्यवस्था के विविध सेक्टरों में फैले हुए हैं।