Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Sambhal Riots Committee Report : आजादी के बाद से संभल डेमोग्राफी में हुआ बड़ा बदलाव, हिंदू आबादी में 30 फीसदी की गिरावट

Sambhal Riots Committee Report : आजादी के बाद से संभल डेमोग्राफी में हुआ बड़ा बदलाव, हिंदू आबादी में 30 फीसदी की गिरावट

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नंवबर 2024 को हुए दंगों की जांच के लिए गठित न्यायिक समिति की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। समित ने अपनी जांच में पाया कि सांप्रदायिक दंगों के कारण शहर में हिंदुओं की जनसंख्या में काफी गिरावट आई है। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि संभल में हिंदुओं की आबादी 1947 में 45 प्रतिशत से घटकर अब केवल 15 से 20 प्रतिशत रह गई है। हालांकि 450 पृष्ठों की यह रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।

पढ़ें :- भारत ने द. अफ्रीका को नौ विकेट से हराकर जीती सीरीज, यशस्वी ने जमाया शतक, कोहली-रोहित का पचासा

रिपोर्ट लीक होने के बाद यूपी की सियासी पारा चढ़ गया है। इसमें खुलासा हुआ है कि संभल हिंसा पूर्वनियोजित और साजिश का नतीजा थी। रिपोर्ट के मुताबिक संभल आजादी के बाद से अब तक 15 बड़े दंगों की आग में जल चुका है। 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 के बाद 2024 में एक बार फिर हिंसा हुई। आजादी के समय संभल नगर पालिका क्षेत्र में 55 फीसदी मुस्लिम और 45 फीसदी हिंदू रहते थे, लेकिन लगातार दंगों और तुष्टिकरण की राजनीति ने डेमोग्राफी बदल दी है। मौजूदा वक्‍त में सम्भल में केवल 15 फीसदी हिन्दू बचे हैं, जो कि स्वतंत्रता के समय 45 फीसदी की तुलना में काफी कम है, जब सम्भल नगरपालिका की लगभग आधी आबादी हिन्दू थी।

आतंकवाद और अपराध का केंद्र बनकर उभरा

हाल के वर्षों में, संभल विभिन्न आतंकवादी संगठनों का केंद्र बनकर उभरा है। सूत्रों ने रिपोर्ट का ब्यौरा देते हुए बताया कि अल-कायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों ने इस क्षेत्र में अपने नेटवर्क स्थापित कर लिए हैं। अमेरिका के तरफ से आतंकवादी घोषित मौलाना आसिम उर्फ सना-उल-हक का नाम भी संभल से जुड़ा बताया गया। इसके अलावा अवैध हथियारों और नशे के गिरोहों के सक्रिय होने की पुष्टि की गई है।

मस्जिद कमेटी और नेताओं पर आरोप

पढ़ें :- Indigo Crisis : राहुल गांधी की बातों पर सरकार ने गौर किया होता तो हवाई यात्रा करने वालों को इतनी तकलीफें न उठानी पड़ती

जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि 22 नवम्बर 2024 को सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के विवादित भाषण ने हिंसा की नींव रखी। उन्होंने नमाजियों को संबोधित करते हुए कहा था, कि हम इस देश के मालिक हैं, नौकर-गुलाम नहीं। मस्जिद थी, मस्जिद है और कयामत तक रहेगी। अयोध्या जैसा यहां नहीं होने देंगे। इसके बाद 24 नवम्बर को तुर्क और पठान समुदायों के बीच संघर्ष भड़क गया। रिपोर्ट में दावा है कि इस पूरे षड्यंत्र में सांसद बर्क, विधायक पुत्र सुहैल इक़बाल और जामा मस्जिद की इंतेज़ामिया कमेटी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

बाहरी लोगों की भागीदारी

रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगा करने के लिए बाहरी उपद्रवियों को बुलाया गया था। योजना के तहत हिंदुओं को निशाना बनाने की साजिश थी, लेकिन हिंदू मोहल्लों में पुलिस की मौजूदगी के कारण बड़ी घटना टल गई। वहीं आपसी रंजिश के चलते तुर्क और पठानों के बीच भी हिंसक टकराव हुआ।

Advertisement