Sankashti Chaturthi 2022 : भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें विघ्नहर्ता और संकट मोचन भी कहा जाता है।संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’। यह तिथि 20 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
पढ़ें :- Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन घर ले आएं ये चीजें, मां लक्ष्मी बरसाएंगी कृपा
इस व्रत में चंद्रमा का महत्व होता है, इसलिए चतुर्थी तिथि में चंद्रमा 19 अप्रैल को उदय होगा। इस आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है।
मंत्र
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।