Amazing benefits of Shankhapushpi: शंखपुष्पी के पौधे को वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व दिया गया है। इसके बारे में माना जाता है कि शंखपुष्पी का पौधा घर में सौभाग्य और खुशहाली लाता है। साथ ही जिस घर में यह पौधा होता है वहां के लोगो को स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कतें नहीं होती हैं।
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साथ ही आयुर्वेद में इसे औषधी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसका सेवन करने से तमाम बीमारियों में राहत मिलती है। आज हम आपको शंखपुष्पी (Shankhapushpi) से होने वाले फायदों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है।
शंखपुष्पी के अद्भुत फायदे, इस पोस्ट को संभाल कर रखें।
1. मिर्गी में : ताजा शंखपुष्पी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ महीनों में मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।
2. थायराइड ग्रंथि के अतिस्राव से उत्पन्न दुष्प्रभावों में… pic.twitter.com/G7xyhyzp7h
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— Jitendra ECI (@JitendraEci) November 20, 2023
ताजा शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से कुछ महीनों में मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।
शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से धड़कन बढ़ने, कंपन, घबराहट, अनिंद्रा (नींद ना आना) में लाभ होगा।
शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पत्तों को चबाकर उसका रस चूसने से बैठा हुआ गला ठीक होकर आवाज साफ निकलती है।
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1 चम्मच शंखपुष्पी (Shankhapushpi) का चूर्ण रोजाना 3 बार पानी के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से बवासीर का रोग ठीक हो जाता है।
शंखपुष्पी (Shankhapushpi) को पकाकर तेल बनाकर रोजाना बालों मे लगाने से बाल बढ़ जाते हैं।
ताजा शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के 20 मिलीलीटर पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का रस 4 चम्मच की मात्रा में रोजाना सेवन करने से पागलपन का रोग बहुत कम हो जाता है।
शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का चूर्ण और मिश्री को मिलाकर पीस लें। इसे 1-1 चम्मच की मात्रा में पानी से रोजाना 2-3 बार सेवन करने से तेज बुखार के कारण बिगड़ा मानसिक संतुलन ठीक हो जाता है।
शहद में शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर आधे कप दूध से सुबह-शाम रोजाना 6 से 8 सप्ताह तक बच्चों को पिलाने से बच्चों की बिस्तर पर पेशाब करने की आदत छूट जाती है।
आधा चम्मच काली मिर्च और शंखपुष्पी (Shankhapushpi) का पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का 1 चम्मच चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ कुछ सप्ताह सेवन करने से शुक्रमेह का रोग खत्म हो जाता है।
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200 ग्राम शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) के चूर्ण में इतनी ही मात्रा में मिश्री और 30 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना 1 कप दूध के साथ सेवन करते रहने से स्मरण शक्ति (दिमागी ताकत) बढ़ जाती है।
शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ते) का काढ़ा 2-2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में उच्चरक्तचाप में लाभ मिलता है।
100 ग्राम शंखपुष्पी (Shankhapushpi) , 50 ग्राम वच और 50 ग्राम ब्राह्मी को मिलाकर पीस लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोज 3 बार कुछ हफ्ते तक लेने से हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है।
10 से 20 मिलीलीटर शंखपुष्पी (Shankhapushpi) के रस को लेने से शौच साफ आती हैं।
10 से 20 मिलीलीटर शंखपुष्पी (Shankhapushpi) का रस सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।