शारदीय नवरात्रि 2021: शारदीय नवरात्रि 2021 इस बार 7 अक्टूबर 2021, शुक्रवार से शुरू हो रहा हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा डोली में सवार (Maa Durga in Doli) होकर आ रही हैं। इसी क्रम में 15 अक्टूबर को हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा आपने स्थान को प्रस्थान करेंगी। ब्रह्मचारिणी माँ की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली।
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मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
भविष्य पुराण के अनुसार,इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में तप की माला और बांए हाथ में कमण्डल है। धार्मिक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। जीवन की सफलता में आत्मविश्वास का अहम योगदान माना गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति संकट आने पर घबराता नहीं है।
इस दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें।
इन मंत्रों का करें जाप
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें)
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मां ब्रह्मचारिणी की कथा
शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया. पार्वती ने महर्षि नारद के कहने पर देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. हजारों वर्षों तक की कई इस कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा. अपनी इस तपस्या से उन्होंने महादेव को प्रसन्न कर लिया. मान्यता है कि अगर मां की भक्ति और पूजा से दिल से की जाएं तो मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें धैर्य, संयम, एकाग्रता और सहनशीलता का आशीर्वाद देती हैं.
मां ब्रह्माचारिणी की आरती-
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
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ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
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कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
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मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.