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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान इन मंत्रों का जाप और करें ये आरती बरसेगी प्रभु श्रीराम की कृपा

By संतोष सिंह 
Updated Date

अयोध्या। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह होने जा रहा है। देश-विदेश में  प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है। अगर आप 22 जनवरी को अपने घर पर भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं, तो प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंत्र का जाप और आरती अवश्य करें। मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंत्र का जाप और आरती  करने से पूजा सफल होती है। चलिए पढ़ते हैं भगवान श्रीराम के मंत्र और आरती।

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भगवान श्रीराम के मंत्र

सर्वार्थसिद्धि श्री राम ध्यान मंत्र –

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

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श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

समस्या से मुक्ति के लिए –

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।

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लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

सुख-शांति के लिए मंत्र –

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

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भगवान राम के सरल मंत्र

|| श्री राम जय राम जय जय राम ||

|| श्री रामचन्द्राय नमः ||

 

भगवान श्रीराम की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

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कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

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