नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को आपराधिक मामलों में पुलिस की मीडिया ब्रीफिंग (Media Briefing) को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) को निर्देश दिया है कि तीन महीने के भीतर गाइडलाइंस (Guidelines) तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने इस मामले में सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGP) को भी निर्देश दिया है कि वो एक माह के भीतर केंद्र सरकार (Central Government) को अपने सुझाव दें।
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देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachur)ने इसे बेहद अहम मसला बताया और कहा कि कई चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं। एक तरफ़ लोगों को सूचना हासिल करने का अधिकार है, तो दूसरी ओर जांच के दौरान सबूतों का खुलासा होने पर जांच प्रभावित होने की आशंका भी रहती है। आरोपियों के अधिकारों का भी ध्यान रखना है, मीडिया ट्रायल (Media Trial) से उनका हित प्रभावित होता है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (Additional Solicitor General Aishwarya Bhati) ने पीठ को आश्वस्त किया कि सरकार मीडिया ब्रीफिंग को लेकर दिशा निर्देश तय करेगी और कोर्ट को उससे अवगत करवाया जाएगा। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया ट्रायल (Media Trial) से न्याय प्रशासन प्रभावित हो रहा है और पुलिस में संवेदनशीलता लाना जरूरी है।
सीजेआई (CJI) ने कहा कि अपराध से जुड़े मामलों पर मीडिया रिपोर्टिंग में सार्वजनिक हित के कई पहलू शामिल होते हैं। बुनियादी स्तर पर, बोलने और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार सीधे तौर पर मीडिया के विचारों, समाचारों को चित्रित करने और प्रसारित करने के अधिकार दोनों के संदर्भ में शामिल हैं, लेकिन मीडिया ट्रायल (Media Trial) की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (Chief Justice D.Y. Chandrachur) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से लोगों को संदेह होता है कि आरोपी ने ही अपराध किया है। पीठ ने कहा कि मीडिया की खबरें पीड़ित की निजता का भी उल्लंघन कर सकती हैं। पीठ ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGP) को आपराधिक मामलों में पुलिस की मीडिया ब्रीफिंग (Media Briefing) के लिए नियमावली तैयार करने के संबंध में एक महीने में गृह मंत्रालय को सुझाव देने का निर्देश दिया।
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सभी डीजीपी दिशा-निर्देशों के लिए अपने सुझाव एक महीने में गृह मंत्रालय को दें। एनएचआरसी के सुझाव भी लिए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) उन मामलों में मीडिया ब्रीफिंग (Media Briefing) में पुलिस द्वारा अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी जांच जारी है।