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Taliban capture Afghan power : गदगद इमरान खान बोले-अफगानियों ने तोड़ी दासता की जंजीरें

By संतोष सिंह 
Updated Date

Imran Khan

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तख्ता पलट करने वाले तालिबान का समर्थन बढ़ता (Growing Support for the Taliban)जा रहा है। पहले चीन, पाकिस्तान और अब ईरान समर्थन में उतर आया है। पाक पीएम इमरान खान (Pak PM Imran Khan) ने तालिबान (Taliban)के सत्ता में काबिज होने का स्वागत करते हुए कहा कि गुलामी की जंजीरें टूट गई हैं। तालिबान का बढ़ता समर्थन मिलना महाशक्ति देशों के लिए भी खतरे का संकेत है। चीन ने उम्मीद जताई है कि तालिबान का शासन स्थायी (Taliban rule permanent) होगा। तो वहीं ईरान का कहना है कि अमेरिका की  स्थायी हार (America’s Permanent Defeat) से शांति की उम्मीद जागी है।

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अफगानिस्तान में इन दिनों जो हो रहा है, वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने जैसा

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (Pakistan PM Imran Khan) ने कहा कि जब आप दूसरे की संस्कृति अपनाते हैं, तो फिर मानसिक रूप से गुलाम होते हैं। यह वास्तविक दासता से भी बुरा है। सांस्कृतिक गुलामी (Cultural Slavery) की जंजीरों को तोड़ना आसान नहीं होता है। अफगानिस्तान में इन दिनों जो हो रहा है, वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने जैसा है।

अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाएगा पाकिस्तान : विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी

पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi) ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान से संपर्क रखना चाहिए। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान अपनी स्थिति को लेकर बहुत स्पष्ट है। हम सोचते हैं कि सिर्फ बातचीत से ही राजनीतिक समाधान निकलेगा। हम वहां लगातार गृहयुद्ध नहीं चाहते। अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति मुहम्मद यूनस कानूनी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात के बाद ट्वीट कर पाक विदेश मंत्री ने यह बात कही।

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तालिबान के साथ मिलकर काम करने की चीन ने जताई इच्छा

चीन ने तालिबान (Taliban) के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। इसके साथ ही उम्मीद जताई कि वह समावेशी सरकार (Inclusive Government)देगा। चीन ने सोमवार को कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि तालिबान अपने वादे पर खरा उतरेगा और देश में खुली एवं समावेशी विचारों वाली सरकार बनाएगा।

अफगानिस्तान तालिबान के बढ़ते प्रभाव को ईरान, रूस और चीन एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं

 

ईरान, रूस और चीन की अमेरिका से कई मुद्दों पर असहमति रही है। ऐसे में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को ये तीनों ही देश अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। रूस ने तो तालिबान से पहले ही बात शुरू कर दी थी। चीन ने सोमवार को कहा कि तालिबान को काबुल में मौजूद विदेशी मिशनों को सुरक्षा देने और सभी को लेकर चलने के अपने वादे पर काम करना होगा।

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इन देशों ने बंद किए दूतावास

अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने अपने दूतावासों को ही बंद कर दिया है। राजनयिकों को वापस निकाल रहे हैं। वहीं ईरान, चीन, रूस और पाकिस्तान जैसे देशों ने तालिबान में अब भी अपने दूतावासों में काम जारी रखा है।

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