लखनऊ। समाजवादी पार्टी की सरकार में एमआई बिल्डर की तूती बोलती थी। लिहाजा, आवास विकास परिषद और एलडीए के अफसर उसके हर हुक्म का पालन करते थे। 12 हजार वर्ग मीटर की जमीन के बावजूद बिल्डर को 30 हजार वर्ग मीटर की जमीन पर निर्माण की मंजूरी दे दी गई। यही नहीं एनओसी से लेकर मानचित्र तक स्वीकृत कर दिया गया। मामले की शिकायत के बाद भी एमआई बिल्डर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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बताया जा रहा है कि एमआई बिल्डर सपा सरकार में कई सत्ताधारी नेताओं का करीबी था। इस कारण उसके हर अवैध काम पर भी अफसर मुहर लगा देते थे। बिल्डर के खिलाफ मदन मोहन मार्ग निवासी धन प्रकाश बुद्धराजा ने शिकायत की थी। बता दें कि, सुल्तानपुर रोड़ स्थित जिस जमीन को आवास विकास परिषद ने साल 2017 में एनओसी दी, उस पर एलडीए के अफसरों ने दो साल पहले ही मानचित्र का आवेदन स्वीकार कर लिया था।
शासन स्तर पर हुई शिकायत के मुताबिक, बिल्डर के पास यहां पर सिर्फ 12 हजार वर्ग मीटर जमीन थी लेकिन अफसरों ने 30 हजार वर्ग मीटर का नक्शा पास कर दिया। वहीं, इस मामले की शिकायत के बाद न्याय विभाग ने इस मामले में हुई गड़बड़ियों की पुष्टि की। साथ ही इस मामले की जांच सीबीआई, ईडी और आईबी जैसी संस्था से कराने की बात कही थी।
न्याय विभाग का मानना है कि इस मामले में आईएएस, आईपीएस और रिटायर हो चुके जज की भी मिलीभगत इस मामले में है। धन प्रकाश बुद्धराज की शिकायत पर 10 जून को आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग की तरफ से जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि न्याय विभाग ने 25 मई को इस मामले में किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच की सिफारिश करते हुए सीएम कार्यालय को पत्र भेजा है।
बिल्डर ने जबरन कराया एग्रीमेंट
बताया जा रहा है कि एमआई बिल्डर की सपा सरकार में तूती बोलती थी। उसके हर अवैध काम भी आसानी से हो जाते थे। उस दौरान बिल्डर ने बुद्धराज की छह हजार वर्ग मीटर जमीन जबरन एग्रीमेंट करा लिया था। अफसर से लेकर शासन तक शिकायत के बाद भी बुद्धराज की कहीं भी सुनवाई नहीं हुई।
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अधिग्रहण जमीन का भी हुआ नक्शा पास!
एक अखबर में छपे बुद्धराज के बयान के मुताबिक, एग्रीमेंट के बाद 30 हजार वर्ग मीटर जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। इसके बाद 2015 में मानचित्र के लिए एलडीए में आवेदन कर दिया गया। अफसरों ने मानचित्र भी पास कर दिया। इसके बाद पता चला कि इस जमीन का बड़ा हिस्सा आवास विकास पहले ही बुद्धराज से अधिग्रहण कर चुका है। ऐसी स्थिति में बिना उसके नक्शा पास नहीं हो सकता है। इसके साथ ही जमीन का एक बड़ा हिस्सा डेंजर जोन में आता है, जहां पर हाउसिंग प्रॉजेक्ट का मानचित्र पास ही नहीं हो सकता।