लखनऊ। डॉ. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के घटक संस्थान आईईटी (IET) में छात्रों द्वारा गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने वाली संस्था परमार्थ (Institution Parmarth)का स्थापना दिवस मनाया गया। इस मौके पर उद्गम नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जिसमें बच्चों ने गीत नृत्य और नाटक प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।
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इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईटी बीएचयू के पूर्व निदेशक प्रो. एसएन उपाध्याय (Former Director of IT BHU Prof. SN Upadhyay) ने कहा कि पढ़ाई के साथ गरीब बच्चों को शिक्षा देना बेहद ही पुण्य का कार्य है। ज्ञान का दान सबसे बड़ा होता है। यह भारत के उज्ज्वल भविष्य की दिशा तय करने वाला कार्य है। छात्र इससे न केवल अपना सामाजिक दायित्व निभा रहे हैं बल्कि भविष्य में उन्हें यह अनुभव एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करेगा।
एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र (AKTU Vice Chancellor Prof. Pradeep Kumar Mishra) ने छात्रों की सराहना की। कहा कि परमार्थ के जरिये छात्र बिना किसी निस्वार्थ भाव से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं। इससे न केवल एक सुकून मिलता है बल्कि समाज में सकारात्मक माहौल बनता है। कहा कि यह परंपरा निश्चित ही अन्य लोगों को प्रेरणा देगी।
आईइटी के निदेशक प्रो. विनीत कंसल (IIT Director Prof. Vineet Kansal) ने बच्चों को शुभकामना दी और कहा कि जिन बच्चों को किसी कारणवश पढ़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा है उन्हें पढ़ाना निश्चित ही काबिलेतारीफ है। इस मौके पर परमार्थ के बच्चों को ट्रॉफी देकर सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर रमेश भाई, विमला बहन, प्रो.ओपी सिंह, डॉ. पवन कुमार तिवारी, डॉ. अजय शर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
उद्गम में दिखी प्रतिभा
स्थापन दिवस के मौके पर उद्गम सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों की प्रतिभा भी देखने को मिली। आईईटी (IET) के गायन क्लब, स्वरांजलि द्वारा एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन किया गया। परमार्थ की छात्रा स्वाति ने अपने नृत्य कौशल का परिचय दिया। साथ ही एक नाटक का भी मंचन किया गया।
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2016 में हुई परमार्थ की स्थापना
परमार्थ (Parmarth) की स्थापना 2016 में आईईटी (IET) के कुछ विद्यार्थियों ने समाज के गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने से की। छात्र अपनी पढ़ाई के बाद परिसर में ही रोजाना बच्चों के लिए कुछ घंटे निकालते और उन्हें पढ़ाते। धीरे-धीरे इस कार्य में परिसर के अन्य छात्र और अध्यापकों ने भी सहयोग करना शुरू कर दिया। पिछले छह सालों से हर दिन छात्र गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। परमार्थ (Parmarth) को राज्यपाल ने भी सम्मानित किया है।