Human population is in crisis in some countries: वर्तमान समय में भारत जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है। दूसरे नंबर पर चीन आ गया है। बढ़ती आबादी को भारत में कई समस्याओं की वजह माना जा रहा है, लेकिन दुनिया के कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां मानव आबादी खतरे में हैं। इन देशों की सरकारें घटती जन्मदर से परेशान हैं। साथ ही सरकारें आबादी बढ़ाने के लिए अभियान शुरू करने की तैयारी में हैं। आइये, इन देशों के बारे में जान लेते हैं-
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इन देशों में आबादी का संकट
यूरोपीय देशों में इटली, स्पेन और पोलैंड में घटती आबादी एक बड़ी चिंता का विषय है। यहां औसत जन्मदर 1.3 ही है। एशियाई देशों में ताइवान और साउथ कोरिया आबादी के संकट में टॉप पर हैं, जहां औसत जन्मदर 1.1 है। यह रिप्लेसमेंट लेवल यानी आबादी के स्थायी रहने का मानक 2.1 से भी कम है। इन दोनों देशों में ऐसे दंपतियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो कोई बच्चा ही नहीं पैदा करना चाहते। इससे पैदा हुए आबादी के संकट को देखते हुए साउथ कोरिया में तो इसके लिए अलग से मिनिस्ट्री ही बना दी गई है।
एशिया में आबादी से संकट से जूझ रहे देशों में जापान भी शामिल है, यहां जन्मदर 1.4 ही है। जहां के एक मंत्री ने पिछले दिनों चिंता जताई थी कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो उनके सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। जापान की सरकार विवाह की संस्था को मजबूत करने और लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके अलावा, बेलारूस, ग्रीस, मॉरीशस जैसे देशों में भी जन्मदर 1.4 ही है। हॉन्गकॉन्ग और मकाउ की भी ऐसी ही स्थिति है। दूसरी तरफ, रूस के खिलाफ युद्ध लड़ रहे यूक्रेन में भी आबादी का संकट है। यहां औसत जन्मदर महज 1.2 है।
2100 के बाद वैश्विक जन्मदर होगी कम
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बीते 200 सालों में ही दुनिया की आबादी में 7 गुना तक का बढ़ी है। यूएन पॉपुलेशन फंड के अनुसार, साल 2100 तक दुनिया की आबादी में बढ़ोत्तरी रहेगी। हालांकि, कुछ देशों में आबादी संकट की स्थिति होगी। साल 2100 के बाद तो वैश्विक जन्मदर भी कम होगी और आबादी घटने लगेगी। वहीं, भारत में साल 2024 में जन्मदर 2.03 ही रही है। यानी यहां पर भी लोग फैमिली प्लानिंग को अपना रहे हैं।