नई दिल्ली। बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट की सुगबुगाहट तेज हो गई है। बात देश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस खान (Mohammad Yunus Khan) के इस्तीफे तक पहुंच गई है। सेना और सरकार के बीच टकराव चरम पर है। एक ओर सेना प्रमुख वकर-उज-जमान (Army Chief Waqar-uz-Zaman) साल के अंत तक चुनाव का अल्टीमेटम दे दिया है, तो वहीं यूनूस ने इस्तीफे की पेश कस अपना अंतिम दांव चल दिया है। उन्होंने मौजूदा हालात में काम करने में असमर्थता जताई है। वहीं, राजनीतिक अस्थिरता के बीच यूनुस सरकार पर लगातार तानाशाही रवैया के आरोप लग रहे हैं।
पढ़ें :- भारत ने द. अफ्रीका को नौ विकेट से हराकर जीती सीरीज, यशस्वी ने जमाया शतक, कोहली-रोहित का पचासा
अपने ही देश में घिरे रहे मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) ने समर्थन जुटाने के लिए ये आखिरी दांव खेला है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद युनूस का कहना है कि देश की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर उनका राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर उनका काम करना मुश्किल होता जा रहा है। वो बंधक जैसा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा है कि जब तक राजनीतिक दल आम सहमति तक नहीं पहुंचते, वह काम नहीं कर पाएंगे।
बांग्लादेश में अगस्त 2024 में शेख हसीना (Sheikh Hasina) के तख्तापलट में बड़ी भूमिका निभाने वाले मोहम्मद यूनुस के साथ 9 महीना में खुद खेला हो गया है। हालांकि, यूनुस के साथ खेला करने में उनके अपनों ने ही बड़ी भूमिका निभाई है। बांग्लादेश मीडिया के मुताबिक यूनुस की लुटिया डूबोने में चार किरदारों की अहम भूमिका है। इनमें तीन तो यूनुस के काफी करीबी माने जाते हैं।
बांग्लादेश मीडिया के मुताबिक यूनुस की लुटिया डूबोने में ये चार किरदार अहम
एनएसए खलीलुर रहमान
पढ़ें :- Indigo Crisis : राहुल गांधी की बातों पर सरकार ने गौर किया होता तो हवाई यात्रा करने वालों को इतनी तकलीफें न उठानी पड़ती
खलीलुर रहमान अंतरिम सरकार में आंतरिक मामलों के सलाहकार हैं। इसके अलावा रहमान के पास एनएसए की अतिरिक्त जानकारी है। मीडिया में दावा किया जा रहा है कि यूनुस सरकार के खिलाफ जो बांग्लादेश में माहौल बना है, उसमें खलीलुर की भूमिका काफी अहम है। खलीलुर ने ऐसे कई काम किए, जिसको लेकर बांग्लादेश की जनता नाराज है। जैसे बांग्लादेश में पाकिस्तान की एंट्री कराने का फैसला, रोहिंग्या के लिए रखाईन तक कॉरिडोर बनाने का फैसला।
कहा जा रहा है कि इन फैसलों का जब विरोध हुआ, तो अंतरिम सरकार बैकफुट पर आई, लेकिन खलीलुर पर कोई कार्रवाई नहीं की। गुरुवार को तो सबसे बड़ी पार्टी बीएनपी ने खलीलुर का इस्तीफा मांग लिया है। बीएनपी का कहना है कि खलीलुर अगर इस्तीफा नहीं देते हैं तो हम अंतरिम सरकार को सपोर्ट नहीं करेंगे।
बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकर-उज-जमान
बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकर-उज-जमान (Army Chief Waqar-uz-Zaman) को यूनुस का करीबी माना जाता था। बांग्लादेश में जब शेख हसीना ने कुर्सी छोड़ी थी, तब जमान ने यूनुस को चीफ सलाहकार बनाने में अहम भूमिका निभाई, लेकिन 2025 की शुरुआत में दोनों के रिश्ते खराब हो गए।
मई 2025 में तो यूनुस ने जमान को हटाने की कवायद ही शुरू कर दी। 11 मई को जमान अमेरिका जाने वाले थे, लेकिन यूनुस की सरकार ने क्लियरेंस के नाम पर उन्हें रोक लिया। जमान ने इसके बाद सीधे तौर पर यूनुस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
पढ़ें :- IndiGo Crisis : एयरलाइंस की मनमानी पर ब्रेक, सरकार ने फिक्स किया हवाई किराया, 500 किमी के लिए 7500 रुपये, जानें टिकट की नई दरें
जमान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की जरूरत है। चुनी हुई सरकार ही जनता के लिए नीति बना सकती है। जमान के इस बयान ने यूनुस के लिए आगे की राह कठिन कर दी।
पूर्व पीएम खालिदा जिया
बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया (Former PM of Bangladesh Khaleda Zia)ने इसी महीने की शुरुआत में लंदन से ढाका की वापसी की है। खालिदा के ढाका में आते ही उनकी पार्टी एक्टिव हो गई। खालिदा की पार्टी बीएनपी बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्टी है। खालिदा की पार्टी ने यूनुस पर दिसंबर में चुनाव कराने और 3 सलाहकारों को हटाने का दबाव बना दिया है। यूनुस इस दबाव को झेल नहीं पा रहे हैं, जिसके कारण अब उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया है।
ढाका के मेयर इशराक
ढाका के मेयर इशराक को कभी यूनुस का करीबी माना जाता था, लेकिन अब वे उनके खिलाफ हो गए हैं। खिलाफ होने की जो सबसे बड़ी वजह है वो इशराक के खिलाफ यूनुस सरकार का फैसला है। दरअसल, यूनुस की अंतरिम सरकार नहीं चाह रही थी कि इशराक ढाका के मेयर बने।
इशराक ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का रूख कर लिया। इशराक की याचिका पर हाईकोर्ट ने यूनुस को झटका दे दिया।इसी बीच इशराक ढाका की सड़कों पर लोग भी जुटाने में सफल रहे। यूनुस ने भीड़ देख अब सरेंडर का मन बना लिया है।