नई दिल्ली। एक जुलाई यानी आज से देश में कानूनी प्रणाली में बड़ा बदलाव लागू हो गया है। आज से तीन मुख्य आपराधिक कानून-भारतीय दंड संहिता 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 – लागू नहीं रहेंगे। इनकी जगह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 लागू हो गए हैं। वहीं, कानूनी प्रणाली में हुए बदलाव को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
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3 नए आपराधिक कानूनों पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे। ये आज से दो सामानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे। 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो फौजदारी के मुकदमे लिखे गए हैं और अदालतों के संज्ञान में हैं, उन पर पुराने कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। जो मामले 30 जून के बाद दर्ज किए जाएंगे उसमें नए कानून के तहत कार्रवाई होगी। भारत की जो न्यायिक प्रणाली है उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं जिसमें से अधिकतर फौजदारी के मुकदमे हैं इसलिए इससे एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है… इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रख कर एक संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेजने के बाद फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए।
कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा, हमारी चिंता यह थी कि संसद में इस पर पूरी तरह से चर्चा नहीं हुई क्योंकि पूरा विपक्ष निलंबित था। यह ऐसी बड़ी बात है जो हर किसी के जीवन को प्रभावित करती है और जिस तरह से हमारा देश आपराधिक क्षेत्र में काम करता है, उसे प्रभावित करती है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम संसद में इस पर चर्चा करें।
वहीं, इस पर शिवसेना(UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि, जब ये बिल संसदीय स्थायी समिति में लाया गया था तो सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई थी और उसमें क्या कमियां हैं वो सामने रखी थीं लेकिन उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। 145 विपक्ष के सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। हम चाहते थे इस पर चर्चा हो।
इसके साथ ही, 3 नए आपराधिक कानूनों पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, यह कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं है। अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे। कहीं न कहीं यह कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।
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