प्रयागराज। उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज (Swami Avimukeshwarananda Maharaj, Shankaracharya of Jyotirmath at Joshimath, Uttarakhand) ने कहा कि प्रयागराज में स्नान और दान का महत्व है। दान का मतलब क्या है? अपना मालिकाना दी जानी वाली वस्तु का मालिकाना परिवर्तन, अर्थात स्वामित्व का हस्तांरण दान है। लेकिन हमने दिया नहीं मालिकाना हमारा था लेकिन किसी उसको ले लिया ये दान नहीं होगा। ये चोरी हो गई। ये देखना पड़ेगा इसके पीछे विधि क्या है?
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि शास़्त्र के अनुसार जहां गंगा-यमुना की धारा मिलती है। वहां जो अपना प्राण त्यागते है। उनको मोक्ष मिलता है। वहां जिनका प्राण चला जाता या फिर जो छोड़ते हैं। छोड़ने का मतलब इच्छा पूर्वक छोड़ना जो अमृत हो जाएगा। बलपूर्वक आप उसके प्राण ले लीजिए। वह परेशान था पूरी ताकत से विरोध कर रहा था। प्राण लेने वालों का बल ज्यादा था। इसलिए वह सफल नहीं हो गया। उसको मोक्ष मिलेगा। जो लोग कह रहे है कि वह वहां मर गए उनको मोक्ष मिलेगा।
शास्त्रानुसार, विधि पूर्वक, प्रयागराज में शरीर छोड़ने पर मुक्ति मिलती है।
बलपूर्वक किसी के प्राण लेकर यह कहना अनुचित है कि उसको मुक्ति मिल गई।#ज्योतिर्मठशंकराचार्य #कुंभपर्व #सनातन#कुंभ_दुर्घटना #प्रयागराज pic.twitter.com/EUUIHlVEu6— 1008.Guru (@jyotirmathah) February 2, 2025
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि शास्त्र में त्रिवेदी में प्राण त्याग की विधि लिखा है। जो माघ में शरीर का त्याग करते हैं उनको मुक्ति मिलती है। विधि व संकल्पपूर्वक प्राण त्यागेगा उनको मोक्ष मिलता है। जो स्नान करने आए थे वो दबकर मर गए। लेकिन मौनी अमावस्या की तिथि में स्नान करने आए थे। वे स्नान करने से पूर्व मारे गए। उन्हें माघ की मौनी अमावस्या स्नान का फल मिलेगा, लेकिन मुक्ति के लिए नहीं आए थे। इसलिए मुक्ति मिलने का सवाल ही नहीं है।
मौनी अमावस्या पर हुए हादसे में जान गंवाने वालों को लेकर बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि मरना तो एक दिन सबको है और जो यहां मरे उन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया। उधर, ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इस तरह के बयान पर नाराजगी जताई है।