नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दिए गए एक इंटरव्यू में कहा कि, 2047…देश की आजादी के 100 साल होंगे। ऐसे समय में देश में एक प्रेरणा जगनी चाहिए। ये अपने आप में बहुत inspirational है। जहां तक 2024 का सवाल है तो यह एक महापर्व है और इसे उत्सव के रूप में मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, मेरा 25 साल का विजन है और मैं ऐसा आज कर रहा हूं ऐसा नहीं है। जब मैं गुजरात में था तभी इस दिशा में सोचता था। 2024 का चुनाव देश के सामने एक अवसर है। एक कांग्रेस सरकार का मॉडल और एक भाजपा सरकार का मॉडल। उनका 5-6 दशक का काल और मेरा एक दशक का काल… किसी में क्षेत्र में तुलना कर लीजिए, पता चल जाएगा।
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उन्होंने कहा कि, जब देशवासी आपको देश चलाने की जिम्मेदारी देते हैं तो आपको सिंगल माइंडेड फोकस होना चाहिए-देश। दुर्भाग्य से पहले के राजनीतिक कल्चर में परिवार को कैसे मजबूत बनाना…उसी में शक्ति लगाते थे। जबकि मैं देश कैसे मजबूत हो, इस लक्ष्य के साथ काम कर रहा हूं। हर परिवार का सपना और वो सपना कैसे पूरा हो, ये मेरे दिल में पड़ा हुआ है। इसलिए मैं कहता हूं कि जो हुआ है…वो ट्रेलर है। लेकिन मैं बहुत अधिक करना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, 2019 में भी मैं काम करके चुनाव मैदान में गया था और जब मैं वापस आया तो अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक से बहनों को मुक्ति, बैंकों का मर्जर…ये सब काम मैंने 100 दिन के अंदर कर दिए। आज जो शब्दों का कमिटमेंट होना चाहिए, लगता है उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है… कोई कुछ भी बोल देता है। जैसे अभी कुछ दिन पहले ही एक नेता ने कहा-मैं एक झटके में गरीबी खत्म कर दूंगा। जिनको 5-6 दशक तक देश में राज करने को मिला, वो जब आज ऐसा कहेंगे तो देश सोचेगा कि ये क्या बोल रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, मैं जो कमिटमेंट करता हूं, उसकी ऑनरशिप भी लेता हूं और जब ऑनरशिप लेते हैं तो देश को भरोसा होता है। आज हम जो बात कहते हैं उस पर देश को भरोसा है। हमने कहा- जम्मू-कश्मीर से 370 हटाएंगे तो हटाया, ट्रिपल तलाक से बहनों को मुक्ति दिलाई। इसलिए मैं कहता हूं- ये मोदी की गारंटी है। साथ ही कहा, जहां तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की बात है तो उन्हें न्योता मिला, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया… जबकि उन्हें गर्व होना चाहिए था। इससे स्पष्ट होता है कि उनके लिए वोटबैंक ही सबसे जरूरी है। ये किसी को नीचा दिखाना अपना अधिकार मानते हैं। लेकिन मैं कहता हूं-ये तो नामदार हैं और मैं कामदार हूं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि, सवाल कांग्रेस से पूछना चाहिए कि आपकी क्या मजबूरी है। सनातन के खिलाफ इतना जहर उगलने वाले लोगों के साथ बैठना उनकी क्या मजबूरी है? कांग्रेस की मानसिकता में ये कौन सी विकृति है। डीएमके का तो जन्म ही शायद इस नफरत के लिए हुआ होगा। भारत को टुकड़ों में देखना…ये भारत के प्रति नासमझी का परिणाम है। अगर आप हिंदुस्तान में देखें प्रभु राम के नाम से जुड़े हुए गांव सबसे ज्यादा कहां है? तो वह तमिलनाडु में है। अब आप इसको कैसे अलग कर सकते हैं। विविधता हमारी ताकत है, हमें इसको सेलिब्रेट करना चाहिए।
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, हमारे देश में लंबे अर्से से चर्चा चली है कि चुनावों में कालेधन का बहुत बड़ा खतरनाक खेल हो रहा है। देश के चुनावों को कालेधन से मुक्ति मिलनी चाहिए। कालाधन खत्म करने के लिए पहले हमने 1000-2000 के नोटों को खत्म किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 20 हजार रुपए तक पार्टियां कैश ले सकती है। मैंने नियम बनाकर 20 हजार को ढाई हजार कर दिया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि ये कैश वाला कारोबार चले। जहां तक इलेक्टोरल बॉन्ड की बात है तो ये उसकी सक्सेस स्टोरी है, क्योंकि इससे मनी का ट्रेल मिल रहा है कि किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया, कहां दिया।