प्रयागराज। किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) से महामंडलेश्वर की पदवी मिलने के बाद छिड़े विवाद पर फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Shriya Mai Mamtanand Giri) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वह पिछले 12 साल से कठोर ब्रह्मचर्य में हैं। बेहद लंबी तपस्या करने के बाद संन्यास दीक्षा ली हैं। सिर्फ लाइमलाइट में आने के मकसद से उन्होंने यह राह नहीं चुनी है।
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शनिवार को सेक्टर-16 संगम लोअर मार्ग स्थित किन्नर अखाड़ा शिविर (Kinnar Akhara Camp) में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते समय हुए ममता कुलकर्णी ने कहा, सनातन की परंपरा निभाना कठिन है। संन्यास लेना कोई फैशन नहीं है। कुछ को मेरी यह अवस्था देखकर दुख हो रहा होगा। उन्होंने कहा कि यह बात लोगों को समझनी होगी। अंडरवर्ल्ड से जुड़े विवादों को लेकर पूछे गए सवाल पर टालने के अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि मां सीता को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। फिर भी वह दूसरे वनवास से नहीं बच सकीं।
इस तरह के विवादों को लेकर कुछ अधिक नहीं कहा जा सकता। ममता ने संन्यास पर खुलकर बात की। कहा, शायद उनके पिछले जन्म का प्रारब्ध था, जो अब वह यहां तक पहुंचीं हैं। कहा, उनकी दादी से आदि शक्ति ने सपने में आकर उनका नाम यामाई रखने को कहा था। यामाई का मतलब मृत्यु की मां है। कहा, यामाई मां का दर्शन करने के बाद उन्होंने बालीवुड में प्रवेश किया था। इसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब उन्हीं यामाई मां को अपने नाम के साथ जोड़ा है। किन्नर अखाड़े से जुड़ाव के बारे में बात करते हुए कहा अर्धनारीश्वर स्वरूप में उनकी गहरी आस्था है। यह स्वतंत्र अखाड़ा है। उनके रहन-सहन पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाएगा।
ममता ने बताया कि जूना अखाड़े में भी उनकी संन्यास दीक्षा (Sanyaas Diksha) की बात चल रही थी, लेकिन मुंडन संस्कार (Mundan Sanskar) की शर्तों के चलते वह शामिल नहीं हुईं। सनातन बोर्ड के सवाल पर ममता ने कहा- इसकी जरूरत है।