वायनाड । कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड (Parliamentary Constituency Wayanad) में रविवार को आदिवासियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आपको प्रतिबंधित और वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। पूरी दुनिया आपके लिए खुली होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हम कहते हैं आदिवासी और दूसरा पक्ष कहता है ‘वनवासी’ और वनवासी शब्द के पीछे एक विकृत तर्क है।
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प्रतिबंधित और वर्गीकृत नहीं करें
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि हमारे आदिवासी भाई-बहन इस देश के मूल मालिक थे और इसका तात्पर्य यह भी है कि इस देश के मूल मालिकों को जमीन, जंगल पर अधिकार दिया जाना चाहिए और जो वे चाहते हैं उन्हें करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आपको प्रतिबंधित और वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। पूरा दुनिया आपके लिए खुली होनी चाहिए।
सरकार कहती वनवासी
उन्होंने कहा कि हम कहते हैं आदिवासी और दूसरा पक्ष कहता है ‘वनवासी’। वनवासी शब्द के पीछे एक विकृत तर्क है। ‘वनवासी’ शब्द इस बात से इनकार करता है कि आप भारत के मूल मालिक हैं और यह आपको जंगल तक ही सीमित रखता है। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि ‘वनवासी’ शब्द के पीछे भावना यह है कि आप जंगल में हैं और आपको कभी जंगल नहीं छोड़ना चाहिए और यह हमें कतई स्वीकार्य नहीं है। हम इस शब्द को स्वीकार नहीं करते हैं।
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शनिवार को पहुंचे राहुल
बता दें, कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड पहुंचे हैं। हाल ही में लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस नेता का ये पहला वायनाड दौरा है। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दौरे को लेकर कांग्रेस की केरल यूनिट में उत्साह है।
सरनेम मामले में मिली थी सजा
बता दें कि मोदी सरनेम मामले (Modi Surname Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सजा पर रोक के बाद सोमवार को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी, जिसके बाद एक बार फिर वह संसद पहुंचे थे। उन्होंने मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया था और मणिपुर पर केंद्र को घेरा था।
मोदी सरनेम मामले (Modi Surname Case) में सूरत की सीजेएम कोर्ट (CJM Court) ने इसी साल 23 मार्च को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके चलते उनकी संसद सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। करीब चार महीने से ज्यादा समय के बाद बीती 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया था।