उत्तर प्रदेश: हनुमान चालीसा का पाठ हम सभी करते हैं। कहा जाता है अगर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो हर संकट से मुक्ति मिलती है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों लिखी गई थी हनुमान चालीसा।।? अब आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है हनुमान चालीसा लिखने के पीछे की।
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हनुमान चालीसा लिखने के पीछे कहानी
कहते हैं गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमानचालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद में मिली थी। ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया और तुलसीदास से दरबार में कहा गया था कि वो अकबर की प्रशंसा में कुछ ग्रंथ लिखें, लेकिन उन्होंने ऐसा करना से मना कर दिया था। इसके बाद अकबर ने उन्हें बंदी बना लिया था।
केवल यही नहीं बल्कि कुछ कहानियों में कहा जाता है कि तुलसीदास जी से कुछ चमत्कार दिखाने के लिए कहा गया था, जैसा उनके बारे में सुना गया था। ऐसी ही कहानी माइथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक ने भी कुछ प्लेटफॉर्म पर सुनाई है। कहानी में कहा जाता है कि फिर तुलसीदास लंबे समय तक जेल में बंद रहे। इस दौरान जेल में ही उन्होंने हनुमान चालीसा लिखी।
कहा जाता है कि हनुमान चालीसा के कई बार पाठ के बाद अकबर के महल परिसर और शहर में अचानक बंदरों ने हमला कर दिया और जब अकबर को इस बात का पता चला तो तुलसीदास जी को रिहा करने का आदेश दे दिया। कहते हैं उस समय हनुमान चालीसा के लगातार पाठ से ही उनका संकट कट गया। इसके लिए हनुमान चालीसा में एक लाइन भी है, ”संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा।” इसका मतलब है कि अगर इसका 100 बार पाठ किया जाए तो हर संकट से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि अकबर के बंदी बनाने के बाद ही हनुमान चालीसा की रचना हुई।