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संसद में सरकार का जवाब, 3 साल में 35 हजार स्टूडेंट्स किया सुसाइड, जातिगत भेदभाव वाले आंकड़ों की जानकारी नहीं

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में 2019 से 2021 के बीच 35 हजार से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की। हालांकि देश में सामाजिक भेदभाव के कारण आत्महत्या करने वाले अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) छात्रों की संख्या की जानकारी नहीं है।

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राज्य मंत्री अब्बैया नारायणस्वामी ने लोकसभा में दी जानकारी

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री अब्बैया नारायणस्वामी (Union Minister of State for Social Justice and Empowerment, Abbaiah Narayanaswami) ने मंगलवार को लोकसभा में सामाजिक भेदभाव के कारण आत्महत्या करने वाले एससी-एसटी छात्रों (SC-ST Students) की संख्या को लेकर पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में बताया कि आंकड़ों के अनुसार, छात्रों की मौत का आंकड़ा 2019 में 10,335 था। यह आंकड़ा 2020 में बढ़कर 12,526 और 2021 में 13,089 हो गया।

संपर्क अधिकारी नियुक्त किए : केंद्रीय मंत्री

सामाजिक भेदभाव को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग (Higher Education Department) ने देशभर के संस्थानों में परामर्श प्रकोष्ठ और एससी-एसटी छात्र प्रकोष्ठ (SC-ST Student Cell) , समान अवसर प्रकोष्ठ, छात्र शिकायत प्रकोष्ठ जैसे विभिन्न तंत्र और संपर्क अधिकारी नियुक्त किए हैं।

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छात्रों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए लागू है अधिनियम 1989

इसके अलावा नागरिक अधिकार संरक्षण ( PCR) अधिनियम 1955 और एससी-एसटी छात्रों (SC-ST Students)  के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 लागू है।

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