लखनऊ। कभी कांग्रेस पार्टी की दिग्गज नेता रहीं वर्तमान में प्रयागराज से बीजेपी की सांसद रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) को पार्टी ने बुधवार को बड़ा झटका दिया है। वर्ष 2009 में रीता बहुगुणा जोशी का घर जाने का आरोपी बसपा (BSP) के पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार सिंह बब्लू (Jitendra Kumar Singh Bablu) को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव से बाकायदा सदस्यता दिलवाई है। इसकी खबर मालूम होते ही नाराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda)से मिलकर जितेंद्र सिंह की सदस्यता खारिज करवाने की बात कह रही है। इसके साथ उन्होंने कहा कि जितेंद्र सिंह को तथ्य छिपाकर पार्टी ज्वाइन करवाया गया है।
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इसके इतर अगर बात करें तो जितेन्द्र सिंह बबलू को भाजपा में शामिल करने के पीछे क्या रीता बहुगुणा जोशी को ये छुपा मैसेज है कि आप चाहें तो जा सकती हैं। वैसे भी उनके साथ पार्टी नेतृत्व काफी समय से सही व्यवहार नहीं कर रहा है। पहले तो उनको सांसद का चुनाव लड़वाकर सूबे का मंत्री पद छीन लिया। कहां देश के सबसे बड़े सियासी सूबे का कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो वाला कैबिनेट मंत्री का पद और कहां दिल्ली दरबार की महज सांसद।
बीते दिनों के केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में थोड़ी बहुत उम्मीद बनी थी कि शायद एडजस्ट कर संतुष्ट किया जाएगा, लेकिन यहां भी उन्हें नाउम्मीदी ही हाथ लगी। जबकि इस विस्तार में उनकी प्रतिष्ठा और प्रभाव से काफी नीचे वालों को आगे बढ़ाया गया है। और अब तो मानों हद ही हो गई। उनके घर को सरेशाम जलाने वाले को पार्टी में शामिल कर लिया गया। मतलब चाहे कोई कुछ भी लगावे मगर सियासी हलकों में जो मैसेज जाना था वह तो चला गया कि आपको जो फैसला लेना हो ले लें। हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।
भले ही रीता बहुगुणा जोशी चाहें जितना इशारा करें कि हो सकता है कि नेतृत्व को जितेन्द्र सिंह बबलू के आपराधिक बैकग्राउंड के बारे में न पता हो। मगर उप्र की राजनीति में थोड़ी बहुत भी दिलचस्पी रखने वाला आम आदमी भी रीता बहुगुणा जोशी के घर पर अग्निकांड को जान रहा है। इस कांड के आरोपी जितेंद्र सिंह बबलू को भी। बल्कि ये कहना अतिश्योक्ति न होगी कि जितेंद्र सिंह बबलू को देश व्यापी पहचान और तत्कालीन मुख्यमंत्री की कृपापात्रता भी इसी अग्निकांड के चलते मिली थी।
इस कांड ने रीता बहुगुणा जोशी को एक जुझारू लड़ाकू महिला नेत्री की पहचान भी दी थी। इस कांड को लेकर ब्राह्मणों में व्याप्त नाराज़गी का ही नतीजा था कि लखनऊ कैंट की ब्राह्मण बाहुल्य सीट जो कि भाजपा का गढ़ मानी जाती थी। उस पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में ब्राह्मणों ने रीता बहुगुणा जोशी को जिताया था। जबकि राज्य में आम चुनावों के रुझान को देखें तो जनता ने बसपा को हटाने के लिए समाजवादी पार्टी को वोट दिया था। इसमें लखनऊ की अधिकांश सीटों पर सपा को ही पसंद किया गया था। इस चुनाव में सपा ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। कैंट के ब्राह्मणों के इस रुझान को देखते हुए ही भाजपा में शामिल होने के बाद 17 के चुनाव में फिर उन्हें कैंट से ही पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था।
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इस मुद्दे पर रीता की पीड़ा जायज़ है। वो स्तब्ध हैं। अभी भी विश्वास नहीं कर पा रही हैं कि उनके घर को जलाने वाले को उनकी ही पार्टी ने शामिल कराकर एक तरह से क्लीन चिट दे दी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मासूमियत देखिए। उन्हें बताया गया कि बबलू के ऊपर लगे आपराधिक मुकदमे अब वापस हो गये हैं। अब वह पाक साफ हो गये हैं। तो उन्होंने उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। है न कमाल की बात।
बहरहाल अगर भाजपा नेतृत्व रीता बहुगुणा जोशी के विरोध के बाद भी बबलू को पार्टी से नहीं निकालती है तो ये उनके लिए स्पष्ट संदेश है कि “भारत जीतो पार्टी को सिर्फ जीत से मतलब है। उसके लिए वह कुछ भी करेगी। अगर आप पार्टी के निर्णय से सहमत नहीं हैं तो आप पार्टी छोड़ कर जा सकती हैं।