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यह फैसला अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और महंगाई पर काबू पाने के लिए लिया गया है। इससे भारतीय बाजारों में भी असर पड़ सकता है, क्योंकि जब अमेरिका ब्याज दरें घटाता है, तो अन्य देशों में भी ब्याज दरों में कमी की उम्मीद बढ़ जाती है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में अमेरिका में उधार लेने की लागत और कम होगी, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि ट्रंप की कर कटौती की आसन्न योजना, टैरिफ वृद्धि के प्रस्ताव और आव्रजन नियंत्रण उपायों से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और सरकारी उधारी बढ़ सकती है, जिससे अमेरिकी केंद्रीय बैंक के साथ टकराव की संभावना बढ़ सकती है। अमेरिकी ऋण पर ब्याज दरें इस सप्ताह पहले ही बढ़ चुकी हैं, जो उन चिंताओं को दर्शाती हैं।
फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कमी का सबसे बड़ा असर लोन पर पड़ेगा। जब ब्याज दरें घटती हैं, तो बैंक और वित्तीय कंपनियां सस्ते लोन ऑफर कर सकती हैं। इसका सीधा फायदा उन लोगों को होगा जो घर, कार या अन्य जरूरतों के लिए लोन लेना चाहते हैं। इसके अलावा, जिन कंपनियों पर भारी कर्ज है, उन्हें भी इस निर्णय से राहत मिलेगी, क्योंकि उनका कर्ज सस्ता हो जाएगा और वे उसे जल्दी चुका सकेंगी। विशेषज्ञों के अनुसार, ब्याज दरों में कमी का सबसे ज्यादा फायदा आईटी और फार्मा सेक्टर को मिलेगा। इसके अलावा, बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों को भी इसका फायदा होगा