आगरा: कासगंज में मंगलवार को शराब माफिया के हमले में मारे गए सिपाही देवेंद्र जसावत आगरा में डौकी थाना क्षेत्र के गांव नगला बिंदू के निवासी थे। उनके शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए। सिपाही के परिजनों को संभाला। पिता रात में ही रिश्तेदार के साथ कासगंज रवाना हो गए। गांव में हर कोई यही बोल रहा था कि बहुत बुरा हुआ।
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देवेंद्र जसावत के पिता महावीर सिंह किसान हैं। देवेंद्र अपने पिता के इकलौते बेटे थे। ग्रामीणों ने बताया कि देवेंद्र विवाहित थे और उनकी शादी 2016 में चंचल से हुई थी। पति की मौत की खबर से पत्नी को गहरा धक्का लगा है। उनकी हालत किसी से देखी नहीं जा रही है। देवेंद्र की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी तीन साल की जबकि छोटी बेटी महज चार महीने की है। मम्मी को रोता देख बेटी वैष्णवी बार-बार यही पूछ रही है कि पापा कब आएंगे।
मई में है बहन की शादी
देवेंद्र की एक छोटी बहन है प्रीति जिसकी मई में उसकी शादी होनी है। ग्रामीणों ने बताया कि शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है। वह देवेंद्र का दोस्त है। उसने ही उनके साथ हुई घटना की जानकारी गांव में फोन पर दी थी। जैसे ही देवेंद्र के परिजनों को घटना की जानकारी हुई घर में कोहराम मच गया। आनन-फानन में रिश्तेदार और गांव के कुछ लोगों ने महावीर सिंह को साथ लिया और कासगंज के लिए रवाना हो गए।
नगला बिंदू गांव के चार युवक वर्ष 2015 में एक साथ पुलिस में भर्ती हुए थे। देवेंद्र जब भी छुट्टी पर आते गांव के नौजवान उन्हें घेर लिया करते थे। यह पूछते थे कि उन्होंने तैयारी कैसे की थी। देवेंद्र के साथ मनीष, नीरज और यशपाल भी पुलिस में भर्ती हुए थे। सभी ने एक साथ तैयारी की थी। सुबह साथ दौड़ने आया करते थे। गांव वालों ने बताया कि देवेंद्र जब भी गांव में आते अपने से बड़ों के पैर छुआ करते थे।
उन्हें इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। वह युवाओं से यही कहते कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी है। पीड़ितों के काम आ सकें इसलिए वर्दी पहनी है। देवेंद्र को ऐसी जगह तैनाती पसंद नहीं थी जहां वसूली के आरोप लगें। वह अपनी नौकरी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ किया करते थे। गांव वालों ने बताया कि बहुत ही सरल और मिलनवार स्वभाव के थे।