नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने वर्ष 2016 में जब एक हजार का नोट बंद करके दो हजार का नोट (2000 Rupee Note) लाने का ऐलान किया। तब भी यह कारण नहीं बताया कि ये 2000 का नोट (2000 Rupee Note) क्यूं लाया जा रहा है और जब इसे 2023 में बंद करने की बात कही गई। तब भी कारण स्पष्ट नहीं किया कि इसे बंद क्यूं किया जा रहा है?
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2000 के नोट को जब 2023 में बंद कर दिया गया उसके बाद अभी तक यानी जुलाई 2025 में भी ये नोट लीगल टेंडर (Notes Legal Tender) अभी तक क्यूं बने हुए है? इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। अब सवाल उठता है कि इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप आरबीआई (RBI) क्यूं नहीं कर रहा है और हर तीन चार महीने में इसकी मियाद को क्यों बढ़ाया जा रहा है? आख़िर 2000 मूल्य वाले नोट के 6181 करोड़ रुपये किसके पास हैं? क्या किसी पोलिटकल पार्टी ने तिजोरियों में दबा रखा है? या किसी नेता या धनकुबेर के पास है। या किसी हवाला कारोबारी के पास दबा हुआ है या ब्लैक मार्केटियों, आतंकवादी संगठनों या विदेशी संस्थाओं के हाथ में पैसा है। 6181 करोड़ तकरीबन 61 अरब किसके पास है। इसका जबाव आरबीआई को देना चाहिए। जनता जानना चाहती है।