अपनी दादी नानी और मम्मी को आपने कांच की चूड़ियां पहने हुए जरुर देखा होगा, वहीं आज की जनरेशन की महिलाएं चूड़ियां पहनने से बचती हैं, वो ट्रेंडी और स्टाइलिश दिखने के लिए मैटल, प्लास्टिक या अन्य बैंगल और चूड़ियां पनना पसंद करती है, अधिकतर महिलाएं तो चूड़ियां पहनना ही पंसद नहीं करती हैं।
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ऐसे में दादी नानी को आपने टोकते जरुर सुना होगा कि हाथ सूने नही रखना चाहिए और कांच की चूड़ियां जरुर पहननी चाहिए। सुहागन महिलाओं को कांच की चूड़ियां पहनने की सलाह कभी न कभी आपने दादी या नानी के मुंह से जरुर सुनी होगी।
चूड़ी को हिंदू धर्म के सोलह श्रृंगार में एक माना जाता है। चूड़ियां ना सिर्फ आपके श्रृंगार में चार-चांद लगाती हैं, बल्कि इसके अन्य कई फायदे भी हैं। खासकर सुहागिन महिलाओं को अपने हाथ खाली नहीं रखने चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। क्योंकि कांच की चूड़ियों को विवाहित महिलाओं का विशेष श्रृंगार माना जाता है, जोकि सिंदूर और मंगलसूत्र की तरह की खास महत्व रखती है।
यही कारण है कि दादी-नानी अगर हाथ खाली देख ले तो तुंरत टोककर चूड़ियां पहनने को कहती हैं। दादी-नानी की ये बातें आपको अटपटी या मिथक लग सकती है। लेकिन शास्त्र और विज्ञान में भी इसके कारण और महत्व बताए गए हैं। अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करते तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे।
आज हम आपको बताते है कि आखिर क्यों हाथों में पहननी चाहिए चूड़ियां। इस मान्यता है पीछे क्या है शास्त्रीय और वैज्ञानिक कारण। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, विवाहित स्त्रियां जब कांच की चूड़ियां पहनती हैं तो इससे सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है। मान्यता अनुसार सुहागिन महिला के चूड़ी पहनने को सुहाग की निशानी माना गया है। ज्योतिष में विभिन्न रंगों की चूड़ियों के महत्व के बारे में भी बताया गया है।
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इसलिए चूड़ियां पहनना कई रूपों में लाभदायक होता है। कांच की चूड़ियां पहनने से लगातार फ्रिक्शन यानि घर्षण होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन लेवल बढ़ता है। साथ ही शरीर से निकले वाली पॉजिटिव एनर्जी बैंगल्स के रिंग शेप के कारण वापस बॉडी में चली जाती है। जैसे हम घंटी बजाते हैं तो ईको साउंड सुनाई देती है। जो शरीर हीलिंग सेंटर को एक्टिवेट करता है। इससे हमारे दिमाग से निगेटिविटी बाहर निकल जाती है।