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प्राकृतिक आक्सीजन को ग्रहण करने का अनूठा साधन है योग : योग गुरू गुलशन कुमार

By संतोष सिंह 
Updated Date

सहारनपुर । आक्सीजन की कमी से सांस लेने में समस्या हो रही है। इसको कुछ हद तक योग की मदद से दूर किया जा सकता है। इसके लिये भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, भ्रामरी और प्राणायाम उपयोगी साबित हो सकते हैं।

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योग गुरू गुलशन कुमार ने रविवार को कहा कि कोरोना संक्रमण काल में लोग बुखार, गले में खराश और खांसी से खासे भयभीत हैं। उधर आक्सीजन की कमी से संबधित हर एक सूचना लोगों के बीच अनजाना भय पैदा कर रही है। लोगों को पता होना चाहिये कि डर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर प्रतिकूल असर डालता है। अगर किसी का आक्सीजन लेबल कम हो रहा है तो ऐसे व्यक्ति को चेस्ट के नीचे तकिया लगाकर एक तकिया जांघों के नीचे लगाकर उलटा पेट के बल लिटा देना चाहिये और उसे गहरी सांस लेते और छोडनी चाहिये। इससे आक्सीजन की कमी में सुधार होगा। यह एक प्राकृतिक वेंटीलेटर है।

उन्होंने कहा कि मौसम में बदलाव के कारण हमारे शरीर की प्रकृति संचित हुए मल को निष्कासित करती हैं परिणाम स्वरूप बुखार, खांसी, बलगम, दस्त, डायरिया, कफ, एसिडिटी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। टेलीविजन पर महामारी की खबरें अखबारों में नकारात्मक खबरें यह सब व्यक्ति के अन्दर डर व भय पैदा करती हैं जिसके कारण हमारी शारीरिक गतिविधियां कमजोर व स्लो हो जाती है। हमारे लंग्स की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है और हमारे आक्सीजन के स्तर में भी कमी आने लगती है ।

योग गुरू ने कहा कि इस माह गेहूं की कटाई का काम चल रहा है गेहूं की कटाई के कण वायु मण्डल मे फैल कर वायु मण्डल को प्रदूषित करते है जिसके कारण सूखी खांसी अधिकांश लोगों को होती है। इसी को एलर्जिक खांसी कहते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी प्रतिरक्षण प्रणाली भी कमजोर पड़ जाती हैं तब हमारी बीमारी तीव्र हो जाती है। प्रतिदिन कोरोना काल के दौरान हो रही मृत्यु के भय के कारण भी घबराये हुए पारिवारिक लोग रोगी को अनावश्यक हास्पिटल में भर्ती करते हैं। जहां कि व्यवस्थाएं पहले से चरमरायी हुई है।

आक्सीजन का अभाव है,मेडिकल सुविधाएं पूरी है नहीं, वहां पर मरीज दम तोड़ रहे हैं। यदि होम आइसोलेशन में लोग हैं वहां पर परिवार के लोगों द्वारा देखभाल सुहानभूति सकारात्मक रवैया आपको जल्दी स्वस्थ करता है।उन्होंने कहा कि आक्सीजन कम होने लगे तो भस्त्रिका,अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें।

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भस्त्रिका प्राणायाम – सुखासन या पद्मासन या कुर्सी पर पीठ सीधी करके बैठे । तत्पश्चात कोहनी मोडकर रखते हुए दोनों हाथो को मुट्ठी बन्द करके कन्धों पर लाए फिर दोनों हाथ सिर के ऊपर करके मध्यम वेग से सांस भरें फिर तेजी से नीचे हाथ लाते हुए छक की आवाज के साथ सांस बाहर छोडें । यह अभ्यास लगभग बीस बार करें। फिर थोड़ा विश्राम करें। फिर पुनः दोहरायें ऐसा तीन बार बीस बीस बार करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम – सर्वप्रथम बायें नासिका से लम्बी गहरी सांस भरें और दायें नासिका छिद्र से निकाल दें फिर दाये नासिका छिद्र से लम्बी गहरी सांस भरें फिर बायें नासिका से सांस छोड़ देनी है । इस क्रम को 20-20 बार दोनों नासिका से बारी बारी करें।

भ्रामरी प्राणायाम – दोनो हाथों अगुंठों से कर्ण छिद्रों को बन्द करें नासिका से श्वास का पुरक करे रेचन करते हुए कंठ से भौरें की ध्वनि करते हुए धीरे धीरे श्वास को छोड़ दें।

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