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महर्षि वाल्मीकि आश्रम, राजा सीताराम महल व रसिक बिहारी मंदिर का संरक्षण करेगी योगी सरकार

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक, व्यापारिक व आर्थिक क्षमताओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार प्रदेश की वृहद सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व आध्यात्मिक धरोहरों को संजोने वाले स्थलों के संरक्षण व जीर्णोद्धार की दिशा में भी सकारात्मक प्रयास कर रही है। सीएम योगी का विजन साफ है कि प्रदेश अपनी उन्नति की गाथा मूल्यों के संरक्षण के साथ लिखे और इसी कारण से प्रदेश के तमाम सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व आध्यात्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का कार्य भी योगी सरकार द्वारा बखूबी किया जा रहा है। इस क्रम में, सीएम योगी की मंशा के अनुरूप अब कानपुर के बिठूर स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम, मथुरा के राजा सीताराम महल व फतेहपुर के शिवराजपुर स्थित रसिक बिहारी मंदिर के जीर्णोद्धार व संरक्षण की प्रक्रिया को मूर्त रूप देने जा रही है। इस विषय में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है जिस पर अमल करते हुए उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग ने संबंधित कार्यों को अंजाम देने के लिए इच्छुक एजेंसियों से ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के जरिए आवेदन मांगे हैं।

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लव-कुश की जन्मस्थली का होगा जीर्णोद्धार
कानपुर के बिठूर स्थित महर्षि वाल्मीकि आश्रम न केवल आस्था बल्कि संस्कार व इतिहास के कई अध्याय अपने आप में समेटे है। ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम द्वारा माता जानकी को वनगमन की आज्ञा देने के उपरांत बिठूर में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम ही उनकी आश्रय स्थली बनी थी। यह भी मान्यता है कि इसी आश्रम में प्रभु श्रीराम के दोनों पुत्रों लव व कुश का जन्म हुआ था। वर्तमान में योगी सरकार अब यहां 1.52 करोड़ रुपए की लागत से संरक्षण व जीर्णोद्धार के कार्यों को मूर्त रूप देने जा रही है। इन कार्यों को करने के लिए आवेदन करने वाली एजेंसी को बतौर ईएमडी अमाउंट 3.12 लाख रुपए जमा कराने होंगे।

मथुरा व फतेहपुर में भी होगा संरक्षण कार्य
मथुरा के राजा सीताराम महल के जीर्णोद्धार व संरक्षण के लिए 1.29 करोड़ रुपए खर्च होंगे व ईएमडी अमाउंट 2.66 लाख रुपए निर्धारित किया गया है। वहीं, फतेहपुर के शिवराजपुर स्थित रसिक बिहारी मंदिर के जीर्णोद्धार व संरक्षण पर योगी सरकार द्वारा 1.97 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे व इस कार्य के लिए ईएमडी अमाउंट 4.04 लाख निर्धारित किया गया है। तीनों ही कार्यों को उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग की देखरेख में टेंडरिंग प्रक्रिया द्वारा चयनित एजेंसियों के माध्यम से किया जाएगा तथा सभी कार्य आवंटन व अन्य जरूरी प्रक्रियाओं का पालन उत्तर प्रदेश शासन की रूलबुक के अनुसार ही किया जाएगा।

इस प्रक्रार होगी टेंडरिंग की प्रक्रिया…
इन तीनों ही स्थलों को लेकर ई-टेंडर पोर्टल पर अलग-अलग टेंडर जारी किए गए हैं। इन सभी टेंडर्स को दो चरणों में आवंटित किया जाएगा। पहले चरण में टेक्निकल एसेसमेंट होगा, उसके बाद फाइनेंशियल एसेसमेंट के उपरांत ही एजेंसियों को कार्य सौंपा जाएगा। उल्लेखनीय है कि टेंडर के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत सोमवार 23 अक्टूबर 2023 से हो चुकी है व 1 नवंबर 2023 को आवेदन की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। इसके उपरांत 3 नवंबर से टेक्निकल एसेसमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके उपरांत फाइनेंशियल प्रक्रिया का निर्धारण होगा। आवेदन करने वाली एजेंसियों को दोनों ही प्रक्रिया के लिए कोटेशन मूल आवेदन में ही देना होगा। एसेसमेंट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चयनित एजेंसियों को कार्य वितरित कर दिया जाएगा और सभी कार्यों को पूर्ण करने के लिए अधिकतम कार्यावधि 120 दिन की निर्धारित गई है।

 

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