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माध्यमिक शिक्षा विभाग में मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव के करीबी फर्मों को काम देने के लिए किया जा रहा बड़ा खेल, टेंडर होने के बाद भी किया जा रहा निरस्त

By टीम पर्दाफाश 
Updated Date

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग में टेंडर प्रक्रिया में बड़ा खेला किया गया है। ये खेल  मंत्री और प्रमुख सचिव के करीबी फर्म को काम दिलाने के लिए किया जा रहा है। इस पूरे खेल के बाद भी अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा खमोश हैं, जिसको लेकर अब सवाल उठने लगा है। दरअसल, माध्यमिका शिक्षा विभाग ने मैन पॉवर सप्लाई के लिए जेम पोर्टल पर एक टेंडर निकाला था। इस टेंडर की प्रक्रिया को पूरा भी किया गया और नियमों के तहत एक फर्म को इसका काम भी दे दिया गया। हालांकि, अफसरों की चहेती फर्म को काम नहीं मिलने पर इस टेंडर को होल्ड कर दिया गया और 11 दिन बाद दोबारा एक टेंडर प्रक्रिया हुई, जिसमें अफसरों ने अपनी चहेती फर्म को टेंडर दे दिया। सबसे अहम ये है कि, चित्रकूट और झांसी मंडल मंडल के लिए निकाले गए इस टेंडर में पति—पत्नी की कंपनी को ही काम दे दिया गया। सूत्रों की माने तो ये सब एक दिग्गज नेता की बेटी के लिए किया गया है।

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ज्वाइंट डायरेक्टर राजीव राणा ने किया खेल
चित्रकूट और झांसी मंडल के लिए निकाले गए इस टेंडर प्रक्रिया में ज्वाइंट डायरेक्टर राजीव राणा ने बड़ा खेल किया है। दरअसल, इन दोनों मण्डलों का चार्ज ज्वाइन डायरेक्टर राजीव राणा के पास है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत पहली बार टेंडर प्रक्रिया में पास होने वाली फर्म ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक पार्थ सारथी सेन शर्मा से की थी। इस पर उन्होंने जांच का हवाला दिया लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद टेंडर प्रक्रिया में खेल करते हुए चहेती फर्म बालाजी इंटरप्राइजेज को चित्रकूट और झांसी मंडल का काम दे दिया गया।

चहेती फर्म के लिए 350 से ज्यादा कंपनियों को किया किनारे
अफसरों ने अपनी चहेती फर्म को काम देने के लिए सभी नियम-कानून को दरकिनार कर दिया। जबकि इस टेंडर प्रक्रिया में 350 से अधिक फर्मों ने ऑनलाइन टेंडर भरा था। जिसमें सभी कंपनियों के कागज ऑनलाइन थे। इस टेंडर को पाने वाली कम्पनी बालाजी इंटरप्राइजेज ने कागजों में खुलेआम खेल किया। लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों को दिखाई नहीं दिया। कंपनी की बैलेंस शीट टेंडर प्रक्रिया में दो कंपनियों में प्रयोग की गई। यहां तक इस कंपनी को काम करने का अनुभव भी नहीं है। जबकि विभाग ने अनुभव वाली कंपनियों के लिए टेंडर निकला था। कंपनी के डायरेक्टर की पत्नी ने भी दूसरे नाम की कंपनी से टेंडर में हिस्सा लिया था। उस कंपनी में भी लगे जितने भी कागज थे सब बालाजी इंटरप्राइजेज के ही लगाए गए थे। लेकिन अफसर ने इस खेल को भी दरकिनार कर दिया। आपको ये भी बता दें कि, बालाजी को चित्रकूट मंडल एवं विजया फाउंडेशन को झांसी मंडल का कार्य मिला है। विजया और अंशिका के मालिक आपस मे पति पत्नी हैं।

 

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