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हमारा कोई देश नहीं बचा हमारा कोई घर नहीं बचा…, Afghan Refugees ने नम आंखो से सुनाई आप बीती

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: अफगानिसतान (Afghanistan) और कबूल में आतंकी संगठन तालिबानी (Terrorist organization Talibani) का कब्जा होने के बाद वाहन के हालत लगातार खराब होते जा रहें हैं। बहुत से लोग अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। वहीं अपना देश छोड़ने वालों के के हालात बद से बततर होते चले जा रहें हैं। आपको बता दें, वहीं अब अफ़ग़ानिस्तान से दिल्ली आए लोग मीडिया (media) के सामने अपना दर्द बयां कर रहे हैं।

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दरअसल, 19 साल के एजाज अहमद गुस्से में कहते हैं कि ‘मेरे पिता तालिबान (Talibani) के फिदायीन हमले में मारे गए थे। उसके बाद हमारा परिवार अफगानिस्तान से भारत आ गया था।’ बता दें कि एजाज अहमद (ejaz ahmed) उन लोगों में शामिल हैं, जो दिल्ली के वसंत विहार स्थित यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस (United Nations High Commissioner for Refugees) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।

UNHCR के कार्यालय के बाहर सोमवार को अफगान शरणार्थियों (Afghan refugees) ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी रात में भी कार्यालय के बाहर ही बैठे रहे। वहीं जैनब हमीदी (zainab hamidi) 22 वर्ष की हैं और 10 वर्ष पूर्व उनका परिवार टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था और यहीं बस गया। दोबारा अफगानिस्तान नहीं लौटने की वजह पूछने पर जैनब तालिबान और उसका आतंक बताती हैं।

वहीं दूसरी तरफ जैनब कहती हैं कि, ‘मेरी मां एक सरकारी स्कूल में टीचर थीं। मेरा बड़ा भाई काबुल में एक अमेरिकी एजेंसी के साथ इंटरप्रेटर का कार्य करता था। एक दिन तालिबानियों ने हमें धमकाया। तालिबान ने मेरी छोटी बहन को उस समय अगवा कर लिया जब वो स्कूल जा रही थी। तीन दिन बाद उसका शव को वो हमारे दरवाजे पर छोड़कर चले गए। ‘

 

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