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भाजपा के पिछले सारे फ़ार्मूले, इस बार फ़ेल हो गये इसीलिए उम्मीदवारों के चयन में वो काफी पीछे छूट गयीः अखिलेश यादव

By शिव मौर्या 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, भाजपा की न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण, इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फ़ार्मूले, इस बार फ़ेल हो गये हैं। इसीलिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गयी है। भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। भाजपा का टिकट लेकर हारने के लिए कोई लड़ना नहीं चाहता है।

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अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा कि, पीडीए पर पिछडे, दलित, अल्पसंख्यक, अगड़े और आधी अबादी का 90 प्रतिशत विश्वास बढ़ता जा रहा है। सभी मिलकर पीडीए को वोट करेंगे। इसको लेकर भाजपा इसी कारण न कोई गणित बैठा पा रही है, न कोई समीकरण, इसीलिए भाजपा के पिछले सारे फ़ार्मूले, इस बार फ़ेल हो गये हैं। इसीलिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन में बहुत पीछे छूट गयी है। भाजपा को उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। भाजपा का टिकट लेकर हारने के लिए कोई लड़ना नहीं चाहता है। यहां तक कि भाजपा के मुख्य समर्थकों में भी जो महिलाएं महिला पहलवानों की दुर्दशा, मणिपुर की वीभत्स घटना, मां-बेटी को जलाने के कांड जैसी अन्य अनगिनत नारी अपमान की घटनाओं को लेकर भाजपा समर्थक होने के नाते शर्मिंदा हैं वो अबकी भाजपा का साथ नहीं देंगी।

उन्होनें आगे लिखा कि, साथ ही नौकरी या भर्ती की उम्मीद लगाये बैठे, जो युवा भाजपा राज में हताश हुए हैं, वो सब भी इस बार भाजपा को हराने-हटाने के लिए ही वोट देंगे। अपने को बुद्धिजीवी समझने वाले समाज में जो लोग तथाकथित नैतिकता व राजनीतिक ईमानदारी के नाम पर भाजपा की ओर देखते थे, वो महाराष्ट्र, बिहार, चंडीगढ़ मेयर चुनाव और झारखंड की सत्ता के लालच से भरी अनैतिक व भ्रष्ट व्यवहार की घटनाओं से न केवल क्षुब्ध हैं बल्कि व्यथित भी हैं। ऐसे लोग बहुत ज़्यादा हैं, इनकी निष्क्रियता भी भाजपा के वोटों में भारी कमी करेगी। भाजपा अपनों से ही हारेगी।

अखिलेश यादव ने आगे लिखा कि, किसानों के बीच दुगुनी आय के झूठे वादों, बोरी की चोरी, फ़सल को नुक़सान पहुंचाते पशुओं से छुटकारा दिलाने की झूठी गारंटियों, महंगी होती कृषि की लागत के कारण भाजपा विरोधी लहर चल रही है। जीएसटी की बंदइंतजामी भाजपा के परंपरागत कारोबारी वोटरों मतलब दुकानदारों, व्यापारियों व छोटे कारख़ाना मालिकों को भाजपा से पहले ही दूर कर चुकी है। भाजपा अपने अरबपती साथियों के लिए मज़दूर व श्रमिक विरोधी नियम-क़ानून लाकर मेहनत-मजूरी का पैसा मार रही है, इसीलिए मज़दूर-किसान भी भाजपा के पूरी तरह ख़िलाफ़ हो गया है। आगे उन्होंने कहा, इस चौतरफ़ा विरोध के माहौल में भाजपा उप्र में हार मानकर बैठ चुकी है। भाजपा के नेतागण जन आक्रोश देखकर भागे-भागे फिर रहे हैं और बाक़ी बचे स्वार्थी भाजपाई समर्थक अपनी पुरानी परम्परा को निभाते हुए भूमिगत हो गये हैं।

 

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