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Amavasya Pitron Ka Tarpan : अमावस्या पर करते हैं पितरों का तर्पण, घर में खुशहाली आती है

By अनूप कुमार 
Updated Date

Amavasya Pitron Ka Tarpan : सनातन धर्म मृत्यु के बाद भी सगे संबंधियों के प्रति लोगों का लगाव रहता है। शास्त्रों में पितृ को याद करने के लिए और उनके  प्रति संमान अर्पित करने के लिए तर्पण किया जाता है। वैदिक काल से यह सब कुछ होता आ रहा है। माना जाता है कि अमावस्या के स्वामी पितर देव होते हैं। इस चलते अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पितर देव (Pitar Dev) की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है।अमावस्या के दिन स्नान-दान का अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने की सलाह दी जाती है। कहते हैं अमावस्या पर पूजा-पाठ करने और पितरों का तर्पण करने पर कष्टों से मुक्ति मिलती है और घर में खुशहाली आती है। इस  ज्येष्ठ अमावस्या को पिंड दान व तर्पण के लिए अत्याधिक शुभ माना गया है।

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Jyeshtha Amavasya
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई 2023 की शाम 9 बजकर 42 मिनट पर होगी और 19 मई 2023 की रात 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 19 मई, शुक्रवार को ज्‍येष्‍ठ अमावस्या मानी जाएगी।

1.मांस या मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
2.माना जाता है कि अमावस्या (Amavasya) के दिन कौओं, कुत्तों और गाय को खाना खिलाने पर पितर खुश होते हैं।
3.इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करना चाहिये।
4. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
5.शनि देव को कड़वा तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले पुष्प चढ़ाएँ। शनि चालीसा का जाप करें।
6.वट सावित्री का व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन यम देवता की पूजा करनी चाहिए और यथाशक्ति दान-दक्षिणा देना चाहिए।

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