Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. Aravalli Row : अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर करेगा सुनवाई? पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील हितेंद्र गांधी ने CJI और राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Aravalli Row : अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर करेगा सुनवाई? पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील हितेंद्र गांधी ने CJI और राष्ट्रपति को लिखा पत्र

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। अरावली रेंज (Aravalli Range) की सुरक्षा करने वाले पर्यावरण सुरक्षा उपायों को कथित तौर पर कमजोर करने से जुड़ा मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है, जिसमें पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील हितेंद्र गांधी (Environmental activist and lawyer Hitendra Gandhi) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत (Chief Justice of India Surya Kant) को ‘100-मीटर टेस्ट’ नियम की समीक्षा के लिए पत्र लिखा है।

पढ़ें :- देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है दिवाली, PM मोदी से लेकर राष्ट्रपति ने दी बधाई

जानें क्या है पूरा मामला?

वकील गांधी के पत्र की एक कॉपी भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President of India, Droupadi Murmu) को भी भेजी है। इस पत्र में अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा पर पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment) की सिफारिश को मंजूरी देने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के फैसले की समीक्षा की मांग की गई है। नई परिभाषा के अनुसार, ‘अरावली पहाड़ी नामित अरावली जिलों में कोई भी भू-आकृति है जिसकी ऊंचाई अपने स्थानीय भू-भाग से 100 मीटर या उससे अधिक है और अरावली रेंज ऐसी दो या दो से अधिक पहाड़ियों का समूह है जो एक-दूसरे से 500 मीटर के दायरे में हों।

पर्यावरणविदों की चिंता

इस बात पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि पर्यावरणविदों का दावा है कि कानूनी सुरक्षा की कमी के चलते नई परिभाषा इस क्षेत्र के 90% हिस्से को खत्म कर सकती है। गांधी ने अपने लेटर में कहा कि ‘100-मीटर का नियम ऐसे बड़े इकोलॉजिकली जरूरी हिस्सों को बाहर करने का जोखिम पैदा करता है जो संख्यात्मक ऊंचाई की सीमा को पूरा नहीं करते, लेकिन काम के लिहाज से बहुत जरूरी हैं,’ उन्होंने आगे कहा कि निचली पहाड़ियों और पानी रिचार्ज वाले इलाकों की रक्षा करना बहुत जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट में अपील

एडवोकेट गांधी ने CJI सूर्यकांत से 20 नवंबर, 2025 के अपने हालिया आदेश में अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की पहचान के लिए अपनाए गए परिभाषा फ्रेमवर्क पर फिर से विचार करने या उसे साफ करने की अपील की है। साथ ही चेतावनी दी है कि ऊंचाई पर आधारित मानदंड अनजाने में पूरे उत्तर-पश्चिम भारत में पर्यावरण संरक्षण को कमजोर कर सकता है।

संवैधानिक सिद्धांतों का हवाला

गांधी ने अपनी दलीलों को संवैधानिक सिद्धांतों पर आधारित बताया है, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 21 द्वारा स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार की गारंटी, अनुच्छेद 48A और 51A(g) का हवाला दिया, जो राज्य और नागरिकों पर पर्यावरण की रक्षा करने का कर्तव्य डालते हैं।

Advertisement