भुवनेश्वर। ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया। इस हादसे में जहां सैंकड़ों लोगों ने अपने जान गंवा दी वहीं, हजारों लोग घायल हुए। बालासोर रेल दुर्घटना ने रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या रेल में सफर करना कितना सुरक्षित नहीं?
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वैसे तो रेल दुर्घटना के मामले यातायात की दूसरी घटनाओं की तुलना में कम सामने आते हैं, लेकिन जब कोई हादसा होता है तो ज्यादा जान-माल का नुकसान होता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि ट्रेन में बड़ी संख्या में यात्री सफर करते हैं और ट्रेन की रफ्तार अधिक होने कारण उन्हें ट्रेन की बोगियों से बाहर निकलने या अपनी जान बचाने का मौका नहीं मिल पाता है। हालांकि ट्रेन में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां जान का खतरा दूसरे स्थानों से कम है।
इन बोगियों में रहता है कम खतरा
रेल हादसे में सबसे ज्यादा खतरे की बात की जाये तो जनरल बोगियां सबसे ज्यादा असुरक्षित मानी जाती है क्योंकि ये बोगियां पीछे या आगे इंजन के पास लगी होती हैं। हादसे के वक्त इन बोगियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है और इनमें यात्रियों की संख्या ज्यादा होने के कारण जान माल का नुकसान भी ज्यादा होता है। वहीं, एसी व स्लीपर बोगियां जनराल की तुलना में सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि यह बीच में लगी होती हैं।
इसके अलावा अगर आप हादसे के वक्त लोगों के बीच में बैठे हैं तो आपके चोटिल होने की संभावना भी कम है। क्योंकि हादसे के वक्त झटका लगने से किनारे या खिड़की व दरवाजे के पास बैठे लोग सीधे ट्रेन की दीवार, फर्श, सीट, खिड़की से टकरा सकते हैं। ट्रेन में चाले-फेर कम, अपनी सीट पर पीछे की तरफ जोर लगाकर बैठें। इससे झटका लगने पर आप गिरेंगे नहीं।