नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने एसडीएम दिल्ली कैंट के साथ मिलकर एक संयुक्त छापामार कार्रवाई में पांच व्यवसायिक इकाइयों से 14 बाल मजदूरों को मुक्त करवाया है। ये कार्रवाई नारायणा औद्योगिक इलाके में की गई। बच्चों से जबरन इलेक्ट्रॉनिक सामान असेंबल करने वाली ईकाई और प्रिंटिंग प्रेस में काम करवाया जा रहा था। इस कार्रवाई में ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ का सहयोगी संगठन बाल विकास धारा भी मौजूद रहा।
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दिल्ली पुलिस ने इस मामले में पांचों व्यवसायिक इकाइयों को सील कर दिया है। साथ ही चाइल्ड लेबर एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। मुक्त करवाए गए सभी बच्चों का मेडिकल करवाने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्तुत किया गया, जहां से उन्हें चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट भेज दिया गया।
मुक्त करवाए गए बच्चों में छह लड़कियां भी हैं। इन बच्चों की उम्र 13 से 17 साल है। सभी बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। इन मासूमों से जबरन बाल मजदूरी करवाई जा रही थी और 12-12 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया गया। मजदूरी के रूप में इनको महज 100 रुपए रोजाना दिए जाते थे। कई बच्चे यहां करीब छह माह से काम कर रहे थे।
बाल मजदूरी की स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक मनीश शर्मा ने कहा, ‘बच्चों को बालश्रम और बाल शोषण से बचाने के कड़े कानून होने के बाद भी लोग बच्चों से व्यापारिक कार्यों में काम करवा रहे हैं और उनका शोषण कर रहे हैं। चाइल्ड ट्रैफिकर्स दूसरे राज्यों से बच्चों को लाते हैं और फिर उन्हें बाल मजदूरी के दलदल में धकेल देते हैं।
यह बच्चों के प्रति बहुत ही गंभीर अपराध है। सरकार को चाहिए कि वह बच्चों को सुरक्षित करे और सुरक्षा एजेंसियों को और भी अधिक सक्रिय करे। ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के निदेशक ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर रोक लगाने के लिए वह जल्द से जल्द एंटी ट्रैफिकिंग बिल को संसद में पास करवाए।
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