मुरादाबाद। बांग्लादेश सरकार के नए कोटा सिस्टम आरक्षण बिल के खिलाफ 17 जुलाई से हिंसक प्रदर्शन चल रहा हैं। वहां पर सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। अभी तक 174 मौतें हो चुकी हैं, 2500 से ज्यादा लोग अरेस्ट किए गए हैं।
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भारत सरकार के मुताबिक में बांग्लादेश में करीब 9300 भारतीय छात्र पढ़ते हैं, जिसमें से ज्यादा एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्र हैं।उनके कॉलेज में करीब 247 भारतीय छात्र हैं, जिसमें में से तकरीबन सब भारत वापस आ चुके हैं। माहौल को देखते हुए भारतीय उच्चायोग ढाका ने एडवाइजरी जारी करके सारे भारतीय छात्रों को बांग्लादेश छोड़ने के लिए कहा है। चटगांव में भारत के सहायक उच्चायुक्त डॉ. राजीव रंजन और कॉलेज प्रशासन ने मिलकर सभी छात्रों को बॉर्डर तक पहुंचाने की व्यवस्था की। अगरतला में बीएसफ और जिला प्रशासन ने छात्रों के लिये ठहरने और खाने की व्यवस्था की।
बताते चलें कि बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर हुई हिंसा के बीच यूपी के सैकड़ों छात्र फंस गए थे। उत्तर प्रदेश मुरादाबाद के जिगर कॉलोनी की रहने वाली एमबीबीएस की छात्रा सना खान ने बताया की बांग्लादेश में आरक्षण प्रोटेस्ट और हिंसा के बीच इंडियन एम्बेसी ने काफी मदद की है। सना खान बांग्लादेश के ईस्ट वेस्ट मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की 3rd ईयर की छात्रा हैं। उन्होंने बताया की वहां आरक्षण का मुद्दा लगातार गरमता जा रहा है। आरक्षण को लेकर हिंसा हो रही थी। प्रदर्शन और हिंसा के दौरान बांग्लादेश की इंटरनेट और मोबाइल की सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई थी। जिसकी वजह से उनका घर वालों से संपर्क नही हो पाया था।
उत्तर प्रदेश मुरादाबाद के जिगर कॉलोनी की रहने वाली एमबीबीएस की छात्रा सना खान ने बताया की बांग्लादेश में आरक्षण प्रोटेस्ट और हिंसा के बीच इंडियन एम्बेसी ने काफी मदद की है। सना खान बांग्लादेश के ईस्ट वेस्ट मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की 3rd ईयर की छात्रा हैं। pic.twitter.com/DoRX9vuV8e
— santosh singh (@SantoshGaharwar) July 28, 2024
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अब वो भारत सरकार की मदद से सकुशल बांग्लादेश से अपने वतन वापस आ गई हैं। उन्होंने बताया की उनके हॉस्टल से कुछ ही कदम की दूरी पर आरक्षण को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। ऐसी स्थिति में वो कई दिन तक हॉस्टल के रूम में ही बंद रहीं। बिगड़ते हालात को स्थिर करने के लिए बांग्लादेश की सरकार ने वहां मिलिट्री और पुलिसबल तैनात कर दिया था। बंगलादेश के मौजूदा खौफनाक हालत ने उन्हें काफी डरा दिया था, वो बहुत सहमी हुई थी, साथी स्टूडेंट्स भी काफी परेशान थे। लेकिन सना ने हिम्मत नही हारी वतन की मुहब्बत और घर आने की चाह ने उनके टूटे हुए मनोबल को बढ़ाया और लौटने का फैसला किया। सना ने अपने दोस्तों संग टिकिट बुक कराए ऐसे में कंपनी ने भी इसका फायदा उठाया और तीन गुना दाम पर टिकिट खरीदने पड़े। अब सना अपने घर अपने परिवार के साथ हैं।