कुशीनगर। राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के मुखिया स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) एक बार फिर लोकसभा चुनाव के (Loksabha Election 2024) बीच पाला बदलकर हाथी की सवारी कर सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जल्द ही वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सिम्बल पर कुशीनगर लोकसभा सीट (Kushinagar Lok Sabha Seat) पर ताल ठोंक सकते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नामांकन के कुछ दिन ही शेष होने पर भी बसपा (BSP) ने कुशीनगर लोकसभा सीट (Kushinagar Lok Sabha Seat) होल्ड कर रखी गई है। लिहाजा, जल्द ही बसपा (BSP) प्रमुख बड़े फैसले का एलान कर सकती हैं। लेकिन पार्टी ने इस मसले पर अभी चुप्पी साध रखी है।
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बसपा ने अब तक 78 सीटों पर घोषित कर चुकी उम्मीदवार
बसपा (BSP) यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अभी तक 78 सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। देवरिया और कुशीनगर सीट पर प्रत्याशियों का मंथन तेज है। इसमें कुशीनगर लोकसभा सीट (Kushinagar Lok Sabha Seat) फिलहाल होल्ड कर दी गई है। इस पर किसी अन्य प्रत्याशी पर तुरंत विचार के बजाए स्वामी प्रसाद मौर्य से चल रही अंदरखाने बातों के परिणामों का इंतजार किया जा रहा है। वहीं बसपा और RSSP का चुनाव में क्या रोल रहेगा? इन सब मुद्दों पर पहले मंडल कॉर्डिनेटर रणनीति तय कर रहे हैं। इसके बाद अंतिम फैसला बसपा चीफ मायावती (BSP chief Mayawati) करेंगी। कुशीनगर लोकसभा सीट (Kushinagar Lok Sabha Seat) में सात मई से नामांकन शुरू होगा।
आठ साल बाद वापसी के कयास
अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चे में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अपना सियासी ठिकाना बदलने के लिए भी जाने जाते हैं। 2016 में बसपा प्रमुख पर कई आरोप लगाकर पार्टी को अलविदा कहने वाले मौर्य अब फिर हाथी की सवारी को बेताब हैं। स्वामी ने 1980 के दशक से लोकदल से राजनीति शुरू की। इसके बाद स्वामी 1991-1995 तक जनता दल के प्रदेश महासचिव रहे। 1996 में वह बसपा में आए फिर यहीं से उनके सियासत की असली कहानी शुरू हुई।
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साल 1997 में ही वह बसपा-बीजेपी (BSP-BJP) गठबंधन की सरकार में मंत्री बने। इसके बाद 2001 में वह नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए। 2002 में वह पडरौना से विधायक चुने गए। इस दौरान साल 2002-2003 में बसपा सरकार में मंत्री बने। बसपा सरकार गिरने के बाद वह मायावती ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी। साल 2007 में जब बसपा ने यूपी में प्रचंड बहुमत हासिल किया तब स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) फिर मंत्री बने और साल 2012 तक पद पर बने रहे। 2012 में बसपा चुनाव हार गई, हालांकि स्वामी अपना चुनाव जीतकर नेता प्रतिपक्ष बने।
वहीं 2016 में स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) ने बसपा के साथ अपना दो दशक पुराना रिश्ता खत्म कर दिया और लोकतांत्रिक बहुजन मंच बनाया। इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए और फिर योगी सरकार में मंत्री बने। जनवरी 2022 में उन्होंने बीजेपी (BJP) और यूपी कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
साल 2022 के चुनाव के पहले वह अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा में आ गए, लेकिन अपना ही चुनाव हार गए। फिर भी सपा ने उन्हें विधान परिषद भेजा। इसके बाद सपा से मनमुटाव बढ़ा और लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) से पहले राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। बसपा के प्रदेश के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) बड़े नेता हैं। उनके बारे में जो फैसला होगा, वह बहन जी ही करेंगी।