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कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश, विकास प्राधिकरणों के अफसरों की बिल्डरों पर खूब बरसी कृपा, सरकारी खजाने को लगी 200 करोड़ की चपत

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG ) की विधानसभा में पेश रिपोर्ट में विकास प्राधिकरणों की मनमानी की बात सामने आई है। रिपोर्ट में करीब 200 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही गई है। सबसे अधिक गड़बड़ी मेरठ और गाजियाबाद में गड़बड़ी के मामले हैं। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेरठ विकास प्राधिकरण (Meerut Development Authority) ने एक बिल्डर को वेदव्यासपुरी योजना (Vedvyaspuri Scheme) में भूखंड आवंटित किया गया। इस आवंटित भूमि से बकाया राशि की वसूली न करने की वजह से प्राधिकरण को 28.95 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (Ghaziabad Development Authority) की लगभग 300 करोड़ रुपये की निष्प्रयोज्य भूमि की वापसी न होने से यह नुकसान हुआ। भूखंडों के आवंटन में कॉर्नर, पार्क फेसिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर चार्ज और 18 मीटर से चौड़ी सड़क पर अतिरिक्त शुल्क न लिए जाने से प्राधिकरण को 40.70 करोड़ का नुकसान की बात रिपोर्ट में कही गई है। इसी तरह गाजियाबाद में ही उप्पल चड्ढा हाईटेक डिवेलपर्स (Uppal Chadha Hitech Developers) द्वारा भूउपयोग परिवर्तन शुल्क प्राधिकरण कोष में जमा न किए जाने से 34.27 करोड़ का नुकसान हुआ।

डिफॉल्टर आवंटियों से किस्तों की बकाया वसूली न होने से 25.67 करोड़ का नुकसान की बात कही गई है। नीलामी से आवंटित व्यावसायिक भूखंडों की किस्तें न जमा किए जाने से प्राधिकरण को 147.59 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वीपीआईपी इन्फ्रा होम्स (VPIP Infra Homes) द्वारा विकास शुल्क का भुगतान न किए जाने से प्राधिकरण को 5.89 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। इसी तरह कानपुर, प्रयागराज सहित कई प्राधिकरणों में प्राधिकरणों ने सरकारी सम्पत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया है।

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