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कमीशनखोर विनय पाठक के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश, उठा सवाल कहीं योगी सरकार तो नहीं कर रही है बचाने की कोशिश

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने बीते शुक्रवार को छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय
(CSJMU)  के कमीशनखोर कुलपति विनय पाठक (Vinay Pathak) के खिलाफ सीबीआई जांच (CBI Investigation) की सिफारिश करते केंद्र सरकार प्रस्ताव भेजा है। इसके बाद सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं योगी सरकार (Yogi Government) सीबीआई जांच (CBI Investigation) की सिफारिश कर कमीशनखोर पाठक को बचने की और मोहलत तो नहीं देना चाह रही है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट बीते 15 नवंबर को खारिज कर चुका है उनकी जमानत याचिका 

यूपी में शिक्षाजगत के हाईप्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी कमीशन खोर विनय पाठक (Vinay Pathak) से यूपी एसटीएफ (STF) व ईडी (ED)अब तक आंख मिचौली का खेल ही खेल रही थी। जबकि इस हाईप्रोफाइल भ्रष्टाचार मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) बीते 15 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका है।

इसके बाद भी कमीशन खोर विनय पाठक (Vinay Pathak) पर कोई एक्शन न होता देख बीते 11 नवंबर को उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (FUPUCTA) ने  राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखा। भ्रष्टाचार के आरोपी विनय पाठक (Vinay Pathak)  को पदमुक्त किए जाने की मांग की थी। इसके साथ ही FUPUCTA अध्यक्ष ने कहा कि स्वतंत्र निष्पक्ष, दोषियों के समूचे नेटवर्क को ध्वस्त कर हुए उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की मांग कर चुका है।

अखिलेश यादव के आरोपों को सही साबित करता नजर आ रहा है योगी का फैसला

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इसके अलावा यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस मामले को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP Chief Minister Yogi Adityanath) पर बड़ा हमला बोला था। इसके साथ सीएम योगी (CM Yogi) विनय पाठक को बचाने का आरोप उन्हीं पर मढ़ दिया था। इसके बाद सीबीआई जांच की सिफारिश करना विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के आरोपों को सही साबित करता नजर आ रहा है।

सीबीआई जांच की सिफारिश होना यह तय हो जाता है कि यह मामला लंबा खिंचेगा और आखिरकार आप दोष मुक्त ही साबित होंगे

सीबीआई के बीते 15 सालों के जांच रिकॉर्ड को यदि खंगाले जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को दो​ष स़िद्ध करने में असफल ही साबित हुई है। ऐसे में सीबीआई जांच की सिफारिश होना यह तय हो जाता है कि यह मामला लंबा खिंचेगा और आखिरकार आप दोष मुक्त ही साबित होंगे।

यूपी की योगी सरकार में छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के खिलाफ दो माह पहले इंदिरा नगर थाने में दर्ज केस की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश की है। शासन ने इस संबंध में प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है। अभी यूपी एसटीएफ जांच कर रही है। मामले में अजय मिश्रा समेत तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि पाठक अंडरग्राउंड है।

पाठक पर आरोप है कि उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के दौरान ठेकों में 15% कमीशन लिया था। जानकीपुरम निवासी डेविड मारियो डेनिस ने पाठक और उनके करीबी एक्सएलआईसीटी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ 29 अक्टूबर 2022 को इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। शुरुआत में आईपीसी की धारा 342, 386 ,504, 506 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज हुई।

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इसके बाद अजय मिश्रा और अजय जैन व संतोष सिंह नामक ठेकेदारों की गिरफ्तारी हुई। इनसे पूछताछ और अन्य साक्ष्यों के आधार पर एसटीएफ ने पाठक के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत धारा 7 व 13 बढ़ा दी।

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